बालासोर। भारत-रुस के संयुक्त परियोजना के तहत विकसित सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का आज यहां से 15 किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। मिसाइल का परीक्षण आईटीआर के लांच परिसर 3 से 11:40 बजे किया गया। इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है तथा यह 200 किलोग्राम भार तक वजन ले जा सकता है।
नौ मीटर लंबी मिसाइल को जहाज या सब मैरीन से ले जाया जा सकता है। जहाज के जरिये यह मिसाइल 14 किलोमीटर की ऊंचाई से आवाज की गति पर दो बार तक छोड़ा जा सकता है।
यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है अौर इसका मार्ग पहले से तय रहता है लेकिन लक्ष्य से 20 किलोमीटर पहले ही अपना रास्ता बदल सकती है।
आईटीआर सूत्रों के मुताबिक इस मिसाइल का ब्यास 670 मिलीमीटर है और इसका वजन करीब तीन टन है। यह सतह से नीची उड़ान भरने में सक्षम होती है और इसकी विशेषता यह है कि यह अपने मारक क्षेत्र के दायरे को 120 किलोमीटर तक सीमित कर सकती है। इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था।
इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रुस की मोस्क्वा नदी शामिल है। यह मिसाइल जीरो स्तर से उड़ान भर सकती है।
सूत्रों ने बताया कि यह मिसाइल अपने सभी लक्ष्यों को साधने के इरादे से तैनात की जा सकती है। साथ ही बेहद निचली ऊंचाई पर लक्ष्य को पहले से भांपकर संचालित की जा सकती है। यह लक्ष्य को जमीन पर सटीक ढ़ंग से भेद सकती है। परीक्षण के दौरान रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा आईटीआर के अधिकारी मौजूद थे।
दुनिया की कुछ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस पहला ऐसा अनोखा मिसाइल है जिसमें तरल ‘रामजेट’ तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके उन्नत अग्नि नियंत्रण व्यवस्था के साथ इस मिसाइल को भारतीय नौ सेना ने अपने युद्धपोतों में शामिल कर लिया है। इस मिसाइल को ब्रह्मोस एरोस्पेस में डीआरडीओ तथा रुस के फेडरल इंटरप्राइज एनपीओ मशिनोस्त्रोवेनिया (एनपीओएम) ने संयुक्त रुप से विकसित किया है।