नई दिल्ली। सरकार ने अमरीका, इजराइल, नेपाल, भूटान आदि देशों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात को लेकर उठे विवाद के बीच शुक्रवार को साफ किया कि देश में यह दवा इस समय आवश्यकता से तीन गुना से अधिक मौजूद है और देश की जरूरतों को पूरा करने के बाद ही अन्य देशों को इसका निर्यात खोला गया है।
कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ को लेकर सरकार की नियमित ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय में कोविड-19 प्रकोष्ठ के प्रभारी अतिरिक्त सचिव दामू रवि ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन सहित कुछ दवाओं के निर्यात खोलने की विदेशों की मांग पर सचिवों की समिति और फिर मंत्रिसमूह ने विचार किया है और देश की जरूरतों एवं उत्पादन की स्थिति के आधार पर कुछ दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील दी गयी है।
रवि ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की मांग सर्वाधिक है और उसकी आपूर्ति के लिए सर्वाधिक अनुरोध प्राप्त हुए हैं। जिन देशों को ये दवा भेजी जानी है, सरकार ने उनकी पहली सूची को स्वीकृति दे दी है और अब दूसरी सूची तैयार हाे रही है। बाद में तीसरी सूची भी तैयार की जाएगी।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि इस समय देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की तीन करोड़ 28 लाख गोलियां उपलब्ध हैं जबकि विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक देश में एक माह में करीब एक करोड़ गोलियों की खपत है। इस प्रकार से इस दवा की उपलब्धता देश की जरूरत की तीन गुना से अधिक है।
अग्रवाल ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक यदि देश में खराब से खराब स्थिति बनी तो भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की आवश्यकता करीब एक करोड़ 60 लाख होगी। इसके अलावा दो से तीन करोड़ गोलियों की आपूर्ति का अतिरिक्त इंतजाम किया गया है। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में चिकित्सा जरूरतों के लिए देश भर में दो करोड़ गोलियां भी पहले ही भेजी जा चुकीं हैं।
उन्होंने कहा कि इस हिसाब से भी देखा जाए तो हमारी ज़रूरत से कहीं अधिक मात्रा में यह दवा उपलब्ध है और निर्यात से देशवासियों की जरूरतों पर कोई विपरीत असर पड़ने की कतई कोई संभावना नहीं है।
अग्रवाल ने बताया कि देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर सरकार की तरफ से काफी विचार-विमर्श किया गया है और यह दवा कोरोना पीड़ित मरीजों, उनके संपर्क में आए प्रथम स्तर के संपर्क रिश्तेदारों और चिकित्सकों को दी जाती है तथा अगले एक हफ्ते तक अगर ऐसी एक करोड़ गोलियों की जरूरत पड़ती है और अभी तक देश में 3.28 ऐसी टेबलेट हैं।
इस माह के अंत अगर ऐसी अतिरिक्त 1.6 करोड़ टेबलेट की जरूरत पड़ेगी तो इसके लिए भी दो से तीन करोड़ अतिरिक्त टेबलेट की उपलब्धता की पूरी तैयारी है और घरेलू स्तर पर उत्पादन सुनिश्चित कर दिया गया है। निजी क्षेत्र में दो करोड़ गोलियां के लिए इंतजाम कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कल तक 16 हजार टेस्ट किए गए थे और इसमें 320 लोगों की रिपोर्ट पाजिटिव आई है जो मात्र दो प्रतिशत के करीब है।
अग्रवाल ने इस बात को खारिज किया कि यह संक्रमण सामुदायिक स्तर पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि अभी वह स्थिति नहीं बनी है। उन्होंने बताया कि रैपिड डायग्नोस्टिक किट का आर्डर दिया चुका है। पीपीई, एन-95 मॉस्क और वेंटीलेटर्स की कोई कमी नहीं है और विदेशों से इनकी आपूर्ति आनी शुरू हो गई है। पहले देश में बुनियादी सुविधा संबधी दिक्कतें थी लेकिन अब इस दूर कर लिया गया है। इस समय देश में पीपीई के 39 मैन्युफैक्चर्स हैं और वे इनकी आपूर्ति को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। इनके अलावा 49 हजार वेंटीलेटर्स का आर्डर दिया जा चुका है।
उन्होंने देश भर में स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सा स्टाफ पर हो रहे हमले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारियों का मनोबल गिराती है। उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में राज्य स्तर पर नौ लाख एन -95 मास्क उपलब्ध थे लेकिन हमने अब राज्यों को 20 लाख ऐसे मास्क उपलब्ध कराए हैं और इनकी खरीद शुरू कर दी गई है। यह बात अच्छी तरह समझ लेनी है कि इनका इस्तेमाल तर्कसंगत तरीके से किया जाना चाहिए तथा इसमें यह भी ध्यान रखा जाना है कि चिकित्सकों को जोखिम कितना है।
कोरोना वायरस के मरीजों की तीन श्रेणियां होती हैं जिनमें लो रिस्क, मीडियम और हाई रिस्क मरीज होते हैं और केवल हाई रिस्क मरीजों के लिए पूरे सुरक्षात्मक उपकरण की जरूरत होती है। राज्य सरकारों को उनकी मांग के आधार पर ही इन पीपीई की आूपर्ति की जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि लोगों को इस बीमारी को लेकर अनचाहे डर से बचना चाहिए और अगर किसी के परिवार में किसी को यह संक्रमण है तो उन्हें सामने आना चाहिए और इसमें केन्द्र सरकार की तरफ से पूरी मदद की जाएगी।
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के प्रावधानों का राज्य सरकारें कड़ाई से पालन करा रही हैं और इसके नियमों के पालन की स्थिति संतोषजनक हैं। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राज्यों में शहरी स्थानीय निकाय स्तर पर सघन प्रयास किए गये हैं और गृह मंत्रालय लॉकडाउन के पालन को सुनिश्चित करा रहा है और आज भी इस संबंध में एक पत्र लिखा गया है।
उन्होंने बताया कि कल तक 37978 राहत शिविरों में 14़ 3 लाख मजदूरों और अन्य जरूरतमंदों को आश्रय दिया गया और इनमें से 34 हजार से अधिक शिविर राज्य सरकारों तथा 3900 शिविर गैर सरकारी संगठनों ने लगाए हैं। इसके अलावा 26225 भोजन शिविरों में एक करोड़ से अधिक लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है है तथा साढ़े 16 लाख से अधिक कर्मचारियों को उनके नियोक्ताओं की तरफ से भोजन उपलब्ध कराया गया है।
श्रीवास्तव ने कहा कि कल गृह मंत्री अमित शाह ने सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश सीमा की स्थिति की जानकारी ली तथा उन स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतने को कहा जहां तारबंदी नहीं है। किसी भी हालत में सीमा पार करने की कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा सीमा पर किसान भाइयों और बहनों को कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में जानकारी देने को भी कहा गया है।
इस मौके पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक डाॅ मनोज वी मुरहेकर ने बताया कि देश में अभी तक एक लाख 44 हजार 910 लोगों की कोरोना वायरस की जांच की गई है। कल 16002 लोगों के नमूने टेस्ट किए गए थे।
उन्होंने बताया कि आईसीएमआर ने अब अपनी टेस्टिंग रणनीति में बदलाव किया है और इसके तहत अब हॉटस्पॉट क्षेत्रों में कोरोना वायरस के लक्षण वाले सभी लोगों की जांच की जाएगी। देश में अभी कुल 213 प्रयोगशालाएं कोरोना की जांच कर रही हैं और इनमें 146 सरकारी क्षेत्र और 67 निजी क्षेत्र में काम कर रही हैं।