नई दिल्ली। देश में ड्रोन के नागरिक इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है, हालांकि ड्रोन से होम डिलिवरी के लिए अभी और इंतजार करना होगा।
नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु और विभाग के राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम के नियम जारी किए। इन नियमों का प्रारूप पिछले साल एक नवंबर को पेश किया गया था।
प्रभु ने कहा कि हालाँकि अभी सामानों की डिलिवरी के लिए इस्तेमाल की अनुमति नहीं होगी, लेकिन अन्य कई उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। केरल में हाल में आई बाढ़ के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया। कृषि सर्वे में भी ड्रोन उपयोगी हो सकते हैं।
आपदा राहत जैसे विशेष उद्देश्यों में सरकारी एजेंसियों को ड्रोन से सामान भेजने की अनुमति भी दी जाएगी। हवाई अड्डों, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, समुद्री तटों, दिल्ली में विजय चौक तथा राज्यों में सचिवालयों और रणनीतिक इलाकों या सैन्य अड्डों के आसपास ‘नो ड्रोन जोन’ होगा।
ड्रोन के नागरिक इस्तेमाल की अनुमति इस साल एक दिसंबर से प्रभावी होगी। इनके पंजीकरण, ऑपरेटर पर्मिट और उड़ान से पहले आवेदन तथा फ्लाइट प्लान अपलोड करने के लिए ‘डिजिटल स्काई’ नाम से एक प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है जो एक दिसंबर से ऑनलाइन हो जाएगा। इसका लिंक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
नैनो ड्रोन (250 ग्राम वजन तक) के लिए किसी पूर्वानुमति या पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी। वे किसी भी अनियंत्रित हवाई क्षेत्र में उड़ान भर सकेंगे। ये अधिकतम 50 फुट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेंगे।
माइक्रो ड्रोन (250 ग्राम से अधिक और दो किलोग्राम तक वजन वाले) के लिए यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर, ‘नो पर्मिशन, नो टेकऑफ’ प्रौद्योगिकी और स्थानीय पुलिस से अनुमति आवश्यक होगी। ये अधिकतम 200 फुट की ऊंचाई तक जा सकेंगे।
दो किलोग्राम से ज्यादा वजन वाले (स्मॉल- दो से 25 किलोग्राम तक, मध्यम 25 से 150 किलोग्राम तक और बड़े – 150 किलोग्राम से भारी) ड्रोनों के लिए पंजीकरण और ऑपरेटर पर्मिट के साथ ही उड़ान से फ्लाइट प्लान भरना भी आवश्यक होगा। इन्हें अधिकतम 400 फुट तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने की अनुमति होगी।
फ्लाइट प्लान के रास्ते से भटकने पर ड्रोन अपने-आप उसी स्थान पर वापस आ जाएगा जहां से उसने उड़ान भरी थी। इसके लिए नैनो को छोड़कर सभी श्रेणी के ड्रोनों में ‘रिटर्न टू होम’ प्रौद्योगिकी को अनिवार्य बनाया गया है।
नैनो को छोड़कर अन्य ड्रोनों के लिए जीपीएस, एंटी कॉलिजन लाइट, आईडी प्लेट, फ्लाइट डाटा लॉगिंग क्षमता तथा आरएफ आईडी और सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल को भी जरूरी बनाया गया है। इन फीचरों के बिना 250 ग्राम से भारी ड्रोन को यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी नहीं किया जाएगा।