नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि भारत साक्षरता मिशन के पढ़ना लिखना अभियान के तहत 2030 तक पूरी तरह साक्षर देश बन जाएगा।
डॉ निशंक ने आज यहां कोविड काल मे अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह साक्षरता दिवस कोविड-19 काल मे साक्षरता को बढ़ाने के लिए आयोजित किया जा रहा है और इसमें युवकों और वयस्कों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।
उन्होंने कहा कि सन 2030 तक देश में शत-शत साक्षरता हो जाएगी और ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में 57 लाख गैर साक्षर को सक्रिय रूप से साक्षर बनाया जाएगा। जिन जिलों में महिला साक्षरता 60% से कम है वहां अधिक ध्यान दिया जाएगा और मनरेगा कौशल विकास कार्यक्रमों, सूचना प्रौद्योगिकी खेल आदि के कार्यक्रमों से साक्षरता अभियान को जोड़ा जाएगा।उन्होंने कहा कि साक्षर भारत ,से आत्मनिर्भर भारत बनाने के की दिशा में राज सरकारों गैर सरकारी संगठनों कारपोरेट संगठनों और नागरिकों तथा बुद्धिजीवियों को अपनी भूमिका निभानी होगी ।
शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि महात्मा गांधी ने कभी निरक्षरता को पाप और शर्म बताया था और इसे दूर करने की बात कही थी।
उन्होंने कहा कि लोगों विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने, उनमें परिवर्तन लाने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में साक्षरता की बहुत बड़ी भूमिका है, इसलिए इस बात की जरूरत है इस पर ध्यान अधिक दिया जाए और देश को साक्षर बनाया जाए
समारोह में यूनेस्को महानिदेशक का संदेश पढ़ा गया। शिक्षा सचिव अनीता करवाल तथा मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी इस पर मौजूद थे।
डॉ निशंक ने कहा कि इस योजना के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग द्वारा प्रौढ़ शिक्षार्थियों के लिए वर्ष में तीन बार बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन भी किया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकारों, सिविल सोसायटी संगठनों, कॉर्पोरेट निकायों, बुद्धिजीवियों और सह-नागरिकों सहित सभी हितधारकों कहा आह्वान करते हुए कहा कि सभी भारत को पूर्ण रूप से ‘साक्षर भारत-आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की दिशा में एकजुट हो कर आगे बढ़ें।
शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि महात्मा गांधी ने कभी निरक्षरता को पाप और शर्म बताया था और इसे दूर करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि लोगों विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने, उनमें परिवर्तन लाने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में साक्षरता की बहुत बड़ी भूमिका है, इसलिए इस बात की जरूरत है इस पर ध्यान अधिक दिया जाए और देश को साक्षर बनाया जाए।
गौरतलब है कि देश में प्रौढ़ शिक्षा के लिए कई योजनाएं चल रही हैं जिनमें किसान की कार्यात्मक साक्षरता परियोजना (एफएफएलपी), वयस्क महिलाओं के लिए कार्यात्मक साक्षरता (एफएलएडब्ल्यू), राष्ट्रीय वयस्क शिक्षा कार्यक्रम (एनएईपी), ग्रामीण कार्यात्मक साक्षरता परियोजना (आरएफएलपी) और कार्यात्मक साक्षरता का व्यापक कार्यक्रम (एमपीएफएल) और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (एएलएम) शामिल हैं।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनीता करवाल, भारत में यूनेस्को के प्रतिनिधि मामे ओमर डिओप जी, प्रौढ़ शिक्षा संयुक्त सचिव एवं राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण के महानिदेशक विपिन कुमार, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया और नीपा के कुलपति, शिक्षा मंत्रालय एवं स्वायत्त संगठनों के अधिकारी इत्यादि भी उपस्थित थे।