गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक कदम उठाये हैं और हम हरित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में दुनिया का नेतृत्व करेंगे।
प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन सीएमएस के सदस्य देशों की 13वीं बैठक के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुये मोदी ने कहा कि जन भागीदारी के साथ भारत हरित अर्थव्यवस्था के प्रोत्साहन में दुनिया का नेतृत्व करेगा जिसमें पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण भी शामिल है।
वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक को संबोधित करते हुये उन्होंने वर्ष 2022 तक दो महत्वपूर्ण नीतियां बनाने की घोषणा की। इसमें एक समुद्री कछुये के संबंध में और दूसरी सामुद्रिक प्रबंधन को मजबूत करने संबंधी नीति होगी।
इस मौके पर भारत को सीएमएस के सदस्य देशों की बैठक सीओपी की अध्यक्षता भी सौंपी गयी। भारत अगली 14वीं सीओपी की बैठक तक इसका अध्यक्ष रहेगा जो 2023 की अंतिम तिमाही में होनी है। इस मौके पर डाक विभाग द्वारा एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सतत विकास में विश्वास करती है और यह सुनिश्चित किया है कि प्रकृति को नुकसान पहुंचाये बिना विकास के काम हों। सरकार के प्रयासों से देश के वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है और यह देश के कुल क्षेत्रफल के 21/67 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वर्ष 2014 में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या 715 थी जो अब बढकर 870 पर पहुंच गयी है। इनका कुल क्षेत्रफल 1,70,000 वर्ग किलोमीटर पर पहुंच चुका है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में 450 गीगावाट हरित उर्जा का लक्ष्य रखा है जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्ट सिटी, जल संरक्षण तथा दूसरी अन्य परियोजनाओं को गति मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय सौर अलायंस, आपदा रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन और इंडस्ट्रियल ट्रांजिशन लीडरशिप जैसी भारत की पहलों में दुनिया के कई देशों ने रुचि दिखाई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के 2.4 प्रतिशत भूक्षेत्र के साथ भारत दुनिया की आठ प्रतिशत जैव विविधता का घर है। यहां विविध प्रकार की पारिस्थितिकी मौजूद हैं। जैव-विविधता के चार महत्वपूर्ण हॉट स्पॉट पूर्वी हिमालय श्रेणी, पश्चिमी घाट, भारत-म्यांमार क्षेत्र और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह देश में मौजूद हैं। देश में हर साल दुनिया भर से 500 से ज्यादा प्रवासी पक्षी आते हैं और कुछ समय के लिए यहां रहते हैं।
मोदी ने कहा कि हमारे देश में संरक्षण, पर्यावरण अनुकूल जीवशैली और हरित विकास मॉडल की परंपरा रही है। वन्यजीवों तथा उनके आवास की रक्षा हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का हिस्सा रहा है जो संवेदना और सहअस्तित्व को बढावा देते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2010 की तुलना में 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था जिसे उसने दो साल पहले ही हासिल कर लिया है। आज देश में बाघों की संख्या बढकर 2,970 पर पहुंच गयी है। देश में 30 हाथी अभ्यारण्यों की पहचान की गयी है जिनमें दुनिया के 60 प्रतिशत एशियाई हाथी रहते हैं।
विभिन्न वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में भारत के प्रयासों का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने बर्फीले तेंदुए तथा ऊपरी हिमालय क्षेत्र में उनके आवास के संरक्षण के लिए एक परियोजना शुरू की है। एशियाई शेर सिर्फ गुजरात के गिर के जंगलों में पाये जाते हैं जो देश की शान हैं। उनके संरक्षण के लिए भी पिछले साल एक परियोजना शुरू की गयी थी। आज उनकी संख्या 523 है। एक सींग वाला भारतीय गैंडा सिर्फ देश के तीन राज्यों असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में पाया जाता है। इनके संरक्षण के लिए भी पिछले साल एक परियोजना शुरू की गयी थी।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि राज्य ने एशियाई शेर, व्हेल शार्क, भारतीय जंगली गधे, कछुओं और गोडावन -ग्रेट इंडियन बास्टर्ड- तथा प्रवासी पक्षियों का संरक्षण सफलतापूर्वक किया है। साल के शुरुआती महीनों में यहां लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। सौर ऊर्जा क्षेत्र में गुजरात देश का नेतृत्व कर रहा है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु संरक्षण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि भारतीय परंपरा में प्रकृति हमारे जीवन का हिस्सा है। हम पेड़ -पौधों और जीव-जन्तुओं की पूजा करते हैं। यदि हमें धरती की रक्षा करनी है तो जनभागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने कहा कि अव्यावहारिक कानून एवं प्रतिबंध थोपकर धरती को नहीं बचाया जा सकता। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक सप्ताह तक चलने वाली इस बैठक में प्रवासी पक्षियों की घटती संख्या का समाधान निकलकर आयेगा।
गुजरात के प्रधान मुख्य वनरक्षक दिनेश कुमार शर्मा ने इस मौके पर विशेष रूप से जारी स्मारक डाक टिकट जावडेकर को भेंट किया।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की उपकार्यकारी निदेशक जॉयेस मसूया ने कहा कि इस समय प्रवासी पक्षियों की आबादी घटने की रफ्तार पूर्व के किसी भी कालखंड से एक हजार गुणा है। यदि हम मिलकर काम करें तो इस स्थिति को पलट सकते हैं। उन्होंने प्रवासी जीवों के संरक्षण में भारत के प्रयासों की सराहना की।
सीएमएस की कार्यकारी सचिव एमी फ्रेंकिल ने कहा कि प्रवासी पक्षियों पर पिछले साल जारी रिपोर्ट अच्छी स्थिति नहीं दर्शाती है। उन्होंने सदस्य देशों से अपनी प्राथमिकता तय करने के लिए कहा।
इस मौके पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो और मंत्रालय के सचिव सी.के. मिश्रा भी मौजूद थे।