नयी दिल्ली | भारी उपग्रहों को छोड़ने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भू-स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान योजना के तृतीय संस्करण के विकास को जारी रखते हुए इसके प्रथम चरण को आज मंजूरी दे दी जिस पर चार हज़ार तीन सौ अड़तीस करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे,
इसके अलावा पोलर उपग्रह प्रक्षेपण योजना के लिए छह हज़ार पांच सौ तिहत्तर करोड़ रुपए की योजना को भी मंजूरी दी गयी। केन्द्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि पहले हरिकोटा से छोटे उपग्रह छोड़े जा पाते थे लेकिन इस योजना को मंज़ूर किये जाने के बाद चार टन के भार वाले संचार उपग्रह छोड़ सकेंगे। इससे देशी और विदेशी उपग्रह छोड़े जा सकेंगे। पहले भारी उपग्रहों को विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण स्टेशनों से छोड़ना पड़ता था। यह योजना ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत लागू की जायेगी।
इस योजना के तहत 10 प्रक्षेपण यान प्रक्षेपित किये जाएंगे। इसे भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मनिर्भर हो जायेगा, इस योजना के तहत 2019 से 2024 के बीच ये यान प्रक्षेपित होंगे, इससे ग्रामीण इलाके में इन्टरनेट और डी टी एच एवं वी सेट सेवा का विस्तार होगा सिंह ने बताया कि विदेशों के बड़े उपग्रह को छोड़ने से राजस्व की भी प्राप्ति होगी, उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष कार्यक्रमों में निजी पूंजी निवेश की भी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है, उन्होंने बताया कि पोलर उपग्रह प्रक्षेपण योजना से 43 प्रक्षेपण किये जा चुके हैं, अब इस योजना को बढ़ने के लिए 6573 हज़ार करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं।
उन्होंने बताया कि अक्टूबर-नवम्बर में चन्द्रयान-दो योजना को भी शुरू की जायेगी। चंद्रयान योजना से चन्द्रमा का पानी का पता लगाया था जबकि अमेरिका ने जब पहली बार चांद पर नील आर्मस्ट्रांंग को उतरा था, तब पानी का पता नहीं चला था। उन्होंने मंगलयान योजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह यान अपनी अवधि बीत जाने के बाद भी काम कर रहा है और नासा भी भारत से उसके भेजे गए चित्रों एवं जानकारी को ले रहा है।