नयी दिल्ली । वायु सेना ने पुलवामा आतंकवादी हमले के एक पखवाड़े के भीतर ही आज तड़के बड़ी जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर जबरदस्त बमबारी की जिसमें आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का सबसे बड़ा शिविर नेस्तनाबूद हो गया और बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गये।
वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े के प्रमुख विमान मिराज-2000 ने इस मिशन को अंजाम दिया। तड़के साढे तीन बजे 10 से 12 मिराज विमानों ने अलग-अलग वायु सेना स्टेशनों से उडान भरी और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बालाकोट में करीब 20 मिनट तक कई जगहों पर 1000 किलोग्राम के बमों से भारी बमबारी की जिसमें कई आतंकवादी शिविर तबाह हो गये और 200 से 250 आतंकवादी ढेर हो गये। पाकिस्तानी वायु सेना को जब तक इसकी खबर लगती भारतीय विमान मिशन पूरा कर लौट आये।
यह पहला मौका है जब वायु सेना ने सीमा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की है। लगभग ढाई वर्ष पहले सेना ने उरी हमले के बाद आतंकवादी ढांचों को ध्वस्त करने के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कार्रवाई की थी। लेजर निर्देशित बम गिराने में माहिर मिराज विमानों ने 1999 की कारगिल लड़ाई के दौरान भी सटीक बमबारी कर पाकिस्तान के दांत खट्टे किये थे।
विदेश सचिव विजय गोखले ने वायु सेना की कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान से जैश ए मोहम्मद और अन्य आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया था लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि हमें पुख्ता जानकारी मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद देश के विभिन्न हिस्सों में आत्मघाती आतंकवादी हमलों की साजिश रच रहा था और इसके लिए फिदायिन जिहादियों को प्रशिक्षित कर रहा था। आसन्न खतरे को देखते हुये मंगलवार तड़के “आत्मरक्षा के लिए असैन्य” कार्रवाई की गयी जिसमें बड़ी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया।
वायु सेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया और इमरान सरकार ने हड़बड़ी में बैठकों के दौर शुरू कर दिये। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफ्फूर ने कहा कि भारतीय विमानों ने तड़के वायु सीमा का उल्लंघन कर हमारे क्षेत्रों में घुसपैठ की लेकिन पाकिस्तानी विमानों ने समय रहते हुए कदम उठाया जिससे वे हड़बड़ी में खुले क्षेत्र में बम गिराकर चले गये और इस कार्रवाई में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है।
वायु सेना की कार्रवाई के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में स्थिति की समीक्षा की। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उन्हें जवाबी कार्रवाई से अवगत कराया। बैठक में आगे की रणनीति और योजना पर भी विचार विमर्श किया गया।
वित्त मंत्री अरूण जेटली तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे। श्री मोदी ने पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा समिति की बैठक की थी जिसमें निर्णय लिया गया था कि इस कायराना हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा। खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि आतंकवादियों ने भारी गलती की है और उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
देश भर में राजनीतिक दलों, संगठनों और नेताओं ने एक सुर में वायु सेना की कार्रवाई का समर्थन करते हुए उसकी सराहना की है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सभी दलों को इस कार्रवाई के बारे में जानकारी देने के लिए शाम को सर्वदलीय बैठक बुलायी है। विदेश सचिव ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया , तुर्की और छह एशियाई देशों के राजनयिकों को इस कार्रवाई की जानकारी दी है।
गोखले ने कहा कि वायु सेना ने जैश ए मोहम्मद के बालाकोट स्थित सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर कार्रवाई की जिसमें आतंकवादी, प्रशिक्षक, वरिष्ठ कमांडर और फिदायिन हमले का प्रशिक्षण ले रहे जेहादियों का सफाया हो गया। बालाकोट के इस आतंकवादी शिविर का मुखिया जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर का निकट संबंधी मौलाना यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद गौरी था।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान उसके वहां मौजूद आतंकवादियों और उनके ठिकानों पर कार्रवाई नहीं करता है तो भारत कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा “भारत सरकार आतंकवाद के खतरे से लड़ने के लिए सभी जरूरी उपाय करने को दृढ़ प्रतिबद्ध है। पाकिस्तान सरकार ने 2004 में वचन दिया था कि वह उसकी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं होने देगी। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता पर खरा उतरेगा और जैश-ए-मोहम्मद के तथा अन्य आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के लिए कार्रवाई करेगा। साथ ही वह आतंकवादियों पर भी कार्रवाई करेगा।”
गोखले ने कहा कि आज की “आत्मरक्षार्थ असैन्य कार्रवाई” में सिर्फ जैश-ए-मोहम्मद के शिविर को निशाना बनाया गया है। लक्ष्य का चयन इस प्रकार किया गया था कि आम लोगों को नुकसान न हो। यह शिविर घने जंगलों में पर्वत शिखर पर आबादी से काफी दूर है।