नई दिल्ली/देवलाली। भारतीय सेना की ताकत तथा मारक क्षमता आज उस समय और बढ़ गई जब अत्याधुनिक तोपें के-9 वज्र और एम 777 होवित्जर तोप उसके हथियारों के जखीरे में औपचारिक रूप से शामिल हो गई।
महाराष्ट्र के देवलाली स्थित सेना के तोपखाना सेंटर की फायरिंग रेज में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में इन तोपों ने अपनी ताकत का नमूना पेश किया और उनकी गर्जन से अासमान कांप उठा। इसके बाद इन्हें औपचारिक रूप से सेना में शामिल कर लिया गया।
एम 777 अल्टा लाइट होवित्जर तोप अमरीका से तथा के-9 वज्र तोप दक्षिण कोरिया से खरीदी गई हैं। शुरुआती खेप के बाद इन दोनों तोपों को मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विदेशी कंपनियों की भारतीय भागीदार कंपनियां देश में ही विकसित करेंगी।
के-9 की दस तोप देश में ही असेम्बल की गयी हैं जबकि बाकी 90 यहीं विकसित की जाएंगी। सेना को इस मारक क्षमता की अत्याधुनिक तोप लगभग तीन दशक के बाद मिल रही है।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि सेना को अगले दो वर्षों में क्रमश: 4366 करोड़ रुपए तथा 5000 करोड रुपए की लागत से 100 के-9 और 145 एम-777 होवित्जर तोप मिलेंगी। ये तोप सेना को दो महीने पहले मिलनी थी लेकिन तकनीकी कारणों से इसमें कुछ देरी हुई।
एम 777 तोप शुरू में अमरीका की मरीन कोर और अमरीकी सेना के लिए विकसित की गई और बाद में 155 एम एम लाइटवेट श्रेणी में इसने अपना लोहा मनवाया। इस तोप का अमरीका, कनाडा और आस्ट्रेलिया के जवान इस्तेमाल कर रहे हैं।
सेना को 25 एम 777 तोपों की आपूर्ति जल्द की जाएगी जबकि बाकी 120 देश में ही असेम्बल की जाएंगी। इन तोपों को मालवाहक विमानों में दूर दराज के दुर्गम क्षेत्रों में ले जाकर तैनात किया जा सकता है। एम 777 होवित्जर तोप 30 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है।
इन तोपों की खरीद का सौदा 2006 में शुरू हुआ था लेकिन यह लंबे समय से अटका पड़ा था। सेना के पास के-9 की पांच रेजिमेंट और एम 777 की 7 रेजीमेंट रहेंगी। के- 9 तोप 28 से 38 किलोमीटर तक मार कर सकती है और यह 30 सेकेंड में तीन गोले तथा तीन मिनट में 15 गोले दाग सकती है।
इस मौके पर सेना को निजी क्षेत्र की कंपनी अशोक लेलैंड द्वारा बनाया गया ट्रक ‘कॉमन गन टॉवर’ भी मिला। इस ट्रक में सेना के लिए भारी हथियारों को आसानी से कहीं भी लाया और ले जाया जा सकता है।