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10 दिन भी जंग नहीं लड सकती भारतीय सेना, पढें ऐसा क्यों - Sabguru News
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10 दिन भी जंग नहीं लड सकती भारतीय सेना, पढें ऐसा क्यों

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10 दिन भी जंग नहीं लड सकती भारतीय सेना, पढें ऐसा क्यों
indian army weapons are old, not enough money for emergency purchase
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नई दिल्ली। हथियारों का सबसे बड़ा आयातक होने के बावजूद भारतीय सेना के पास दो तिहाई से अधिक यानी 68 प्रतिशत हथियार और उपकरण पुराने हैं और केवल 8 प्रतिशत ही अत्याधुनिक हैं।

हालत यह है कि सेना के पास जरूरत पड़ने पर हथियारों की आपात खरीद और दस दिन के भीषण युद्ध के लिए जरूरी हथियार तथा साजो-सामान तथा आधुनिकीकरण की 125 योजनाओं के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं है। दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध की तैयारी के नजरिये से भी सेना के पास हथियारों की कमी है और उसके ज्यादातर हथियार पुराने हैं।

रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति का का मानना है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए से शुरू की गयी मेक इन इंडिया योजना के तहत सेना की 25 परियोजनाएं भी पैसे की कमी के कारण ठंडे बस्ते में जा सकती हैं। स्थायी समिति ने वर्ष 2018-19 के लिए रक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों से संबंधित रिपोर्ट मंगलवार को लोकसभा में पेश की।

खुद सेना ने समिति के समक्ष हथियारों तथा उपकरणों के जखीरे के बारे में खुलासा किया है। सेना उप प्रमुख ने समिति को बताया कि सेना के 68 प्रतिशत हथियार और उपकरण पुराने हैं, 24 प्रतिशत ऐसे हैं जो मौजूदा समय में प्रचलन में हैं तथा केवल 8 प्रतिशत ही अत्याधुनिक हैं। समिति को यह बताया गया कि किसी भी आधुनिक सेना के पास एक तिहाई हथियार पुराने, एक तिहाई मौजूदा प्रचलन के और एक तिहाई अत्याधुनिक होने चाहिए।

समिति को बताया कि सेना को आधुनिकीकरण के लिए 21 हजार 338 करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है जो उसकी पहले से प्रतिबद्ध भुगतान राशि 29 हजार 33 करोड से काफी कम है। यह भी बताया गया कि वर्ष 2017-18 की कुछ देनदारी वर्ष 2018-19 के खाते में आएगी जिससे 2018-।9 के लिए कितनी राशि बचेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। समिति ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की और उसका मानना है कि सेना की जरूरतों को देखते हुए जरूरी बजटीय सहायता दी जानी चाहिए।

समिति को यह भी पता चला कि कुल बजट में से 63 प्रतिशत हिस्सा वेतन के भुगतान में चला जाता है। सामान्य रख रखाव और संचालन संबंधी जरूरतों पर 20 प्रतिशत और ढांचागत सुविधाओं पर लगभग 3 प्रतिशत व्यय होता है ऐसे में आधुनिकीकरण के लिए केवल 14 प्रतिशत राशि ही बचती है जो अपर्याप्त है।

सेना का कहना है कि उसे कुल आवंटन में से 22 से 25 प्रतिश राशि आधुनिकीकरण के लिए दी जानी चाहिए। समिति का कहना है कि सेना को किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम बनाने के लिए आधुनिकीकरण के लिए आवंटित बजट को बढाया जाना चाहिए।

समिति का कहना है कि रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता के लिए मेक इन इंडिया बहुत बड़ा कदम है और इसका उद्देश्य स्वदेशीकरण को बढावा देना है। सेना ने इस योजना के तहत 25 परियाेजनाओं की पहचान की है लेकिन अपर्याप्त आवंटन राशि को देखते हुए ऐसा लगता है कि इनमें से अनेक परियोजनाएं ठंडे बस्ते में जा सकती हैं। समिति ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि एक ओर तो सरकार रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण पर जोर दे रही है तथा दूसरी ओर इसके लिए बजट नहीं दे रही।

सेना ने वर्ष 2018-19 के लिए बजटीय अनुमान 1 लाख 96 हजार 387.36 करोड रूपए का रखा था हालाकि उसे केवल 1 लाख 53 हजार 875 रूपए का आवंटन किया गया जो 42 हजार 512. 14 करोड रूपए कम है।