नई दिल्ली। देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। जिसकी वजह से बेरोजगारी भी चरम पर पहुंच गई है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती से लाखों नौकरियों पर संकट बढ़ता जा रहा है। आईटी कंपनियां, ऑटो कंपनियां, बैंक सभी लागत में कटौती के उपाय कर रही हैं। ऐसे में कर्मचारियों में डर का माहौल बना हुआ है।
इसी बीच खबरें है कि देश की सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियां कारोबार में नरमी के चलते इस साल मध्यम स्तर के 30,000 से 40,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल सकती हैं। वहीं साल 2014 से अब तक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ही 35 लाख लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं।
मोदी सरकार में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर बढ़ा है और जीडीपी में बढ़त से भी नौकरियों के मोर्चे पर खास राहत नहीं मिली है। यहां तक कि बड़ी-बड़ी आईटी कंपनियों ने छंटनी करने की घोषणा कर दी है। एक मात्र आईटी सेक्टर में करीब 40 लाख कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट है। जानकारी में बता दें, आईटी कंपनी कॉग्निजैंट ने 7,000 कर्मचारियों को निकालने की घोषणा की है। कैपजेमिनी ने 500 कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया है।