नयी दिल्ली । सरकार ने आज राज्यसभा में कहा कि दूसरे देशों में शरण मांगने वाले लोग व्यक्तिगत लाभ लेने के लिए भारतीय शासन व्यवस्था को बदनाम करते हैं जबकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रत्येक व्यक्ति को अपनी शिकायत का निवारण करने के पर्याप्त अवसर देती है।
विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह ने सदन में एक प्रश्न का लिखित उत्तर में कहा कि जर्मनी में लगभग 8000 भारतीयों ने शरण मांगी हैं। अमेरिका की जेलों में बंद 359 लोगों ने वहां की सरकार से शरण मांगी है। फिनलैंड में एक व्यक्ति ने शरण के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा डेनमार्क और ब्राजील में दो – दो व्यक्तियों ने शरण मांगी है। ये भी जेल भी बंद है।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार सरकार का मानना है कि शरण मांगने वाले किसी विदेशी सरकार के पास इस बाबत आवेदन करके व्यक्तिगत लाभ लेने के लिए भारतीय शासन व्यवस्था को बदनाम करते हैं। उन्हाेंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश की हैसियत से अपने सभी नागरिकों को कानूनी तरीके से अपनी शिकायतों को दूर करने का अवसर प्रदान करता है।
जनरल सिंह ने कहा कि शरण का आवेदन अस्वीकार होने पर ये लोग संबंधित देश में अवैध प्रवासी बन जाते हैं और वहां की सरकार भारतीय दूतावास एवं मिशन को सूचित करती है। इसके बाद ऐसे लोगों का सत्यापन करने के बाद उचित मदद उपलब्ध करायी जाती है।
उन्हाेंने बताया कि हालांकि ये आंकड़े पूरे नहीं है। कुछ सरकारें गोपनीयता के प्रावधानों के तहत शरण मांगने वाले व्यक्ति के संबंध में ब्यौरा देने में असमर्थता जताती है।