मुंबई। तीसरी स्वदेशी डीजल इलेक्ट्रिक स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस करंज का मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में बुधवार सुबह जलावतरण किया गया। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की पत्नी रीना लांबा के हाथों जलावतरण कराया गया।
अन्य तीन स्कार्पीन का निर्माण एमडीएल द्वारा फ्रांस के डीसीएनएस के सहयोग से तकनीकी हस्तांतरण अनुबंध के तहत किया जा रहा है, जो अभी कतार में हैं।
पहले पोत आईएनएस कलवरी को भारतीय नौसेना में 14 दिसंबर, 2017 को शामिल किया गया था, जबकि दूसरे आईएनएस कंधारी का उसी साल जनवरी में जलावतरण किया गया था और इसका समुद्री परीक्षण चल रहा है।
इस मौके पर एडमिरल लांबा ने अपने संबोधन में कहा कि आईएनएस करंज का जलावतरण प्रथम दो पनडुब्बियों में अपनाई गई मैनिंग और प्रशिक्षण फिलासिफी से एक महत्वपूर्ण प्रस्थान है। उन्होंने कहा कि मौजूदा पनडुब्बी के साथ अब आगे नौसेना प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रक्रिया में पूरी तरह आत्मनिर्भर होगी।
उन्होंने कहा कि पहले आईएनएस करंज ने देश की 34 सालों तक 1969 से 2003 तक सेवा दी थी और उसने 1971 के युद्ध में भागीदारी की थी।
इस स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण में अत्याधुनिक उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है। इसमें गोपनीयता विरोधी मिसाइलों के रडार से बच निकलने की क्षमता, कम विकिरण वाला ध्वनि स्तर व निर्देशित हथियारों के साथ दुश्मन पर हमला करने की क्षमता है।
इसके दोनों टारपीडो से हमले किए जा सकते हैं और जल के अंदर या सतह पर पोत भेदी मिसाइल छोड़ी जा सकती है। इसकी गोपनीयता पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है, जो इसे कई पनडुब्बियों की तुलना में अभेद्य बनाती है।