नई दिल्ली। सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए नौसेना में महिला नाविकों (सेलर) की भर्ती पर गंभीरता से विचार कर रही है साथ ही महिलाओं की समुद्र में तैनाती को लेकर भी बातचीत हो रही है।
नौसेना में नाविक यानी ‘सेलर’ सेना के जवान के समकक्ष होता है। तीनों सेनाओंं में अभी तक महिलाएं केवल अधिकारी के रैंक पर ही सेवारत हैं। हालांकि सेना ने कुछ समय पहले घोषणा की थी कि वह महिलाओं को अपनी सैन्य पुलिस कोर में भर्ती करना शुरू करेगी।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने शुक्रवार को यहां बताया कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने नौसेना के कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नौसेना महिलाओं की भर्ती पर विशेष जोर दे।
इस पर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने इस बात की पुष्टि की कि महिलाओं की गैर अधिकारी पद पर भर्ती इस सम्मेलन का एक मुख्य एजेन्डा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की समुद्र में और युद्धपोतों पर तैनाती पर भी विचार किया जा रहा है लेकिन अभी इसमें और चर्चा की जानी है।
उल्लेखनीय है कि वायु सेना ने लगभग तीन वर्ष पहले महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में उतारते हुए इस विमान को उड़ाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया था जिसके बाद महिलाएं लड़ाकू विमान उडा रही हैं।
नौसेना में अभी महिला अधिकारी टोही विमान पी-8आई में लड़ाकू भूमिका हैं। यह विमान मिसाइल और अन्य हथियारों से लैस हैं जिन्हें दागने में महिला अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
नौसेना में अभी कुल 639 महिला अधिकारी हैं जिनमें से 60 पी-8आई विमानों पर लड़ाकू भूमिका में हैं। महिलाओं को विधि, शिक्षा और नेवल कंस्ट्रक्शन जैसी शाखाओं में स्थाीय कमीशन दिया जा रहा है। उन्हें पायलट के तौर पर शार्ट सर्विस कमीशन दिया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि कमांडरों के सम्मेलन में एक और महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि चेयरमैन चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी भविष्य में तीनों सेनाओं के कमांडरों के सभी सम्मेलनाें में शामिल होंगे। सम्मेलन में अंडमान निकोबार एकीकृत कमान पर विशेष ध्यान दिये जाने पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री ने सरकार की मेक इन इंडिया योजना के तहत स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता के लिए बेहतर काम करने पर नौसेना की सराहना की। रक्षा मंत्री ने नवाचार के लिए भी नौसेना की प्रशंसा की और कहा कि अन्य विभागों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री ने देश को समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूत बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि नौसेना को समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। उन्होंने नौसेना की युद्ध तैयारियों , आधुनिकीकरण और ढांचागत परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की।
सम्मेलन में बताया गया कि पिछले छह महीनों में नौसेना के लिए 17 हजार करोड़ रुपये के पूंजीगत खरीद अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए। साथ ही 3000 करोड़ रुपए के खरीद प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
इसके अतिरिक्त 2300 करोड़ रुपए की ढांचागत परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई। इस अवधि में 1100 रैंकों पर भर्ती की मंजूरी दी गई। दुनिया की 18 नौसेनाओं के साथ जानकारी के आदान-प्रदान समझौतों पर भी सहमति बनी। इनमें से 11 नौसेनाओं के साथ इस पर अमल भी किया जा चुका है।