सबगुरु न्यूज। नब्बे के दशक के आखिर में भारत में परिशुद्ध शल्य चिकित्सा उपकरणों का एक बडा बाजार तेजी से बढ़ रहा था। इस दौरान भारत शल्य चिकित्सा उपकरणों का आयात करने वाले एशिया के शीर्ष देशों में से एक बन गया था।
इधर, न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक और पुनर्निर्माण सर्जरी, वुंड क्लोजर, ओबस्टेट्रिक्स और स्त्री रोग, कार्डियोवैस्कुलर, आर्थोपेडिक और अन्य बहुत सारी सर्जरी के दौरान ऐसे सटीक उपकरणों का अधिक प्रयोग होने लगा। विभिन्न नवाचार और नए अनुप्रयोग इस उद्योग की गतिशीलता को दिन-प्रतिदिन बदल रहे हैं।
भारतीय चिकित्सा उपकरणों का उद्योग वर्तमान में लगभग 5 बिलियन अमरीकी डॉलर का है जो कि 72.6 बिलियन अमरीकी डालर वाली एशिया/पेसिफिक इंडस्ट्री के कुल आकार का 6.9 प्रतिशत हिस्सा है। भारत में हैल्थकेयर इंडस्ट्री का कुल मूल्य 160 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जिसके 2020 तक 280 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
इस तरह उम्मीद की जा सकती है कि भारत के चिकित्सा उपकरण उद्योग, शल्य चिकित्सा उपकरण और दवा उद्योग में आने वाले वर्षों में उल्लेखनीय तेजी आ सकती है और ये उद्योग पूरी दुनिया के लिए लागत प्रभावी आपूर्तिकर्ता बन सकते हैं। देश में लगभग 1800 घरेलू फर्म हैं, मुख्य रूप से एमएसएमई जो निम्न से मध्यम प्रौद्योगिकी उत्पादों की श्रृंखला में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
आईटीए मेडिकल डिवाइसेज टॉप मार्केट्स रिपोर्ट 2016 के मुताबिक चिकित्सा उपकरणों क वैश्विक बाजार के 2020 तक 435.8 बिलियन अमरीकी डालर के मूल्य तक पहुंचने की उम्मीद है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक इसके सालाना 7.8 प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सर्जरी की संख्या बढ़ने से बाजार में और तेजी की उम्मीद की जा सकती है। बढती सड़क दुर्घटनाएं, पुरानी बीमारियों का इलाज, प्लास्टिक सर्जरी की बढ़ती प्रवृत्ति इत्यादि कारणों से सर्जिकल उपकरणों की मांग में तेजी से बढोतरी हो सकती है।
आरयूजे और एसआरएम के चेयरमैन स्विट्जरलैंड बेस्ड वैज्ञानिक डाॅ राजेन्द्र जोशी कहते हैं कि भारत के सामने इस बात की बडी संभावना है कि वह सर्जिकल उपकरणों के बाजार में कारोबार पर निर्भर रहने के स्थान पर अभिनव और सटीक विनिर्माण इकाई के रूप में खुद को बदल सकता है।
आयात कम करते हुए और लागत प्रभावी हाई एंड प्रोडक्ट्स का उत्पादन करके, देश स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च होने वाली एक बड़ी राशि को बचाने में सक्षम हो जाएगा। हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत सरकार ने कई स्विस, जर्मन, जापानी और अमरीकी कंपनियों को आकर्षित करने में सफलता हासिल की है और इनमें से कई कंपनियों ने भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।
हाल के दौर में इस क्षेत्र में नई कंपनियों ने इस सेगमेंट में प्रवेश किया है, इनमें एसआरएम टैक्नोलाॅजीज (स्विट्जरलैंड) ने आरयूजे ग्रुप (जयपुर) के साथ संयुक्त उद्यम कायम किया है, एमएजी इंडस्ट्रियल आॅटोमेेशन सिस्टम्स (अमेरिका) ने भारत में अपनी सहायक कंपनी कायम की है, हैलर (जर्मनी) ने टीएएल मैन्यूफैक्चरिंग साॅल्यूशन के साथ संयुक्त उद्यम लगाया है, ग्लाइडमीस्टर (जर्मनी) ने बैंगलुरू में टेक सेंटर खोला है, श्यूलर (जर्मनी) ने भी एक भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम लगाया है।
इसी तरह एमएयूएस (इटली) ने टीएएल मैन्यूफैक्चरिंग साॅल्यूशन के साथ संयुक्त उद्यम शुरू किया है, रोजा एर्मान्डो (इटली) ने भारत में विनिर्माण सुविधा कायम करने के लिए बैंगलुरू की यूसीएएम के साथ संयुक्त उद्यम की शुरुआत की है।
आरयूजे और एसआरएम मैकेनिक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर जयंत जोशी कहते हैं कि शल्य चिकित्सा उपकरणों के उद्योग के लिए प्रीसिशन मैन्यूफैक्चरिंग की मांग की तरफ अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है और यह मांग मुख्य रूप से ऐसे व्यापारियों द्वारा पूरी की जा रही है, जो कि आयातक हैं।
आरएस इंडिया के जयपुर संयंत्र में, विनिर्माण प्रक्रियाओं और तकनीकों जैसे 5 एक्सिस मिलिंग, टर्निंग, स्विस टाइप टर्निंग, सरफेस-, सिलंैड्रिकल- और सेंटर लैस ग्राइंडिंग, पंचिंग, लेजर कटिंग, बैंडिंग, वैक्यूम हीटट्रीटमेंट, एनोडाइजिंग (एल्यूमिनियम और टाइटेनियम दोनों), प्लेटिंग, पाउडर कोटिंग, असेम्बलिंग और असेम्बलिंग अंडर क्लीन कंडीशंस की स्थापना की गई है और यहां बी2बी विनिर्माण के लिए आवश्यक सभी प्रकार की प्रीसिशन मशीनिंग और असेंबली उपलब्ध है।
Medical Devices Market: Forecast for growth, in USD Billions | |||||
Region | 2016 | 2017 | 2018 | 2019 | 2020 |
Americas | 166.6 | 176.5 | 187.3 | 197.9 | 208.6 |
Asia/Pacific | 68.7 | 72.6 | 77.6 | 82.9 | 88.6 |
Central/Eastern | 14.6 | 15.7 | 17 | 18.1 | 19.1 |
Middle East/Africa | 10 | 10.8 | 11.5 | 12.5 | 13.2 |
Western European | 79.5 | 85.1 | 92.6 | 101.4 | 106.2 |
Total | 339.5 | 360.8 | 386.1 | 412.8 | 435.8 |
Source: Worldwide Medical Devices Forecast to 2020 |