नई दिल्ली। रेलवे ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसमें कोच खुद बतायेगा कि पानी समाप्त होने वाला है और पानी भरने की सुविधा वाले अगले स्टेशन पर प्रभारी तक संदेश पहुँच जायेगा।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (चल परिसंपत्ति) राजेश अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि इस साल के अंत तक सभी यात्री ट्रेनों के कोचों में वाटर सेंसिंग उपकरण लगाया जायेगा। जैसे ही टंकी में पानी आधे से कम रह जायेगा यह सेंसर पानी भरने की सुविधा वाले अगले स्टेशन पर पानी भरने के लिए जिम्मेदार प्रभारी को संदेश भेज देगा। टंकी खाली हो जाने पर उसके खाली होने का संदेश भी जायेगा।
श्री अग्रवाल ने बताया कि पिछले साल इस परियोजना की शुरुआत की गयी थी और पाँच प्रतिशत से अधिक कोचों में सेंसर लग चुके हैं। इस साल अन्य ट्रेनों में भी सेंसर लगाने का काम पूरा हो जायेगा।
उन्होंने बताया कि हर ट्रेन के ठहराव के हिसाब से उसमें पानी भरने के लिए नियत स्टेशन अलग-अलग होते हैं। वाटर सेंसिंग उपकरण को पता होता है कि आने वाले किस स्टेशन पर पानी भरा जा सकता है। सिर्फ उसी स्टेशन के प्रभारी के पास पानी भरने का संदेश जायेगा।
इसके अलावा आने वाले समय में एसी कोच के अंदर का तापमान एवं आर्द्रता का नियंत्रण भी स्वचालित करने की योजना है जिसकी किसी भी स्थान से निगरानी की जा सकेगी। श्री अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए तौर-तरीके एवं डिजाइनिंग आदि तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। अभी एसी कोच में तापमान नियंत्रित करने के लिए कर्मचारी होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि ट्रेन शाम के समय एक जगह से चलकर सुबह जब दूसरी जगह पहुँचती है तो मौसम में जमीन आसमान का फर्क होता है। ऐसे में स्वचालित तापमान नियंत्रण प्रणाली से कोच के अंदर का तापमान अपने-आप एक जैसा बना रहेगा। कोच के अंदर लगे सेंसर तापमान के साथ नमी तथा विभिन्न गैसों की मात्रा भी पढ़ सकेंगे और उसके आधार पर यह तय करेंगे कि अंदर कितनी ठंडक या गर्मी की जरूरत है।