हिंदुओं में शादी अलग ही माहोल होता है शादी में कई सारी रस्में होती है जिनमें से आप सभी रस्मों से अवगत होंगे लेकिन इन सभी रचनाओं में एक ऐसी रस्मों की है जिस का हिस्सा हर एक लड़का जुड़ा होता है और उस लड़के के साथ एक जानवर का भी हिस्सा होता है।
हम बात कर रहे हैं घोड़ी की जिस पर बैठकर दूल्हा बारात में चलता है और उसके आगे पीछे सभी लोग उसकी प्रजा की तरह नाचते गाते हुए आगे बढ़ते हैं लेकिन कई लोग शादी तो करते हैं और घोड़ी पर सवार होकर बारात में आगे बढ़ते हैं लेकिन क्या कभी किसी ने घोड़ी पर बैठने के बाद उस घोड़ी का ख्याल रखा।
जिस घोड़ी पर बैठकर वह बारात में आगे बढ़ा यह अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है कि जिस घोड़ी पर बैठते हैं और अपनी बारात में जाते हैं उस घोड़ी का ध्यान नहीं रखते उस घोड़ी को केवल एक रस्म का हिस्सा समझ के इस्तेमाल करते हैं और फिर भुला देते हैं।
लेकिन अजमेर के एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी शादी में जिस घोड़ी पर बैठकर बारात में शामिल हुए उस घोड़ी का पूरा ध्यान रखा उनको उस घोड़ी से ऐसा लगाव हुआ कि समय-समय पर उस घोड़ी के मालिक से जुड़े होने के साथ-साथ उस घोड़ी के खाने-पीने का भी ध्यान रखा।
यह बात है अजमेर के एक व्यक्ति के जिनका नाम है सुरेश कुमार, सुरेश ने 5 साल पहले शादी करी थी और शादी में जिस घोड़ी पर बैठकर बारात में गए थे उस घोड़ी से उन्हें अच्छा खासा लगाव हो गया शादी के बाद उन्होंने पता किया कि वह घोड़ी कहां है और उसका अस्तबल में जाकर देखरेख का जिम्मा उठाया और उसके खाने पीने का भी ध्यान रखा।
जब वह उस घोड़ी के इतना करीब गए तो उन्हें महसूस हुआ कि हम जिस घोड़ी पर बैठकर दूल्हे बन कर राजा की तरह सवार होकर जाते हैं उस 1 दिन के बाद उस घोड़े की कोई कदर नहीं होती उस घोड़ी के खाने-पीने की भी साधन सही तरीके से नहीं जुटा पाता है घोड़े का मालिक।
यह बहुत ही दुखद घटना है लेकिन यह बड़ी ही अजीब बात है कि शादी के दिन तो घोड़ी को हम लोग दाल खिलाते हैं और उसकी खिलाई पिलाई अच्छे से करते हैं लेकिन क्या उसके साथ यह सब कुछ आगे भी ऐसा ही होता है या नहीं इसका जवाब मिला सुरेश को घोड़ी के मालिक से मिलने के बाद घोड़े के मालिक ने बताया कि वह अपनी आजीविका चलाने के लिए यह सब करता है। और वह चाहता है कि घोड़ी की देखरेख में अच्छे से कर पाए लेकिन घोड़ी का पालन पोषण करना काफी खर्चीला साबित होता है इस वजह से उसे उतना अच्छा नहीं खिलाता जितना उसे खिलाना पिलाना चाहिए कई बार घोड़ी की तबीयत भी खराब हो जाती है और उसकी बीमारी का इलाज करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
लेकिन सुरेश ने ऐसे में उसके मालिक से कहा कि जो भी देखरेख होगी उसका में हिस्सा बनना चाहूंगा और समय-समय पर उससे मिलने भी आऊंगा जितना बन पड़ेगा उसके लिए करूंगा यह एक बहुत ही महान कार्य है कि यदि आप एक जानवर के बारे में भी इतना सोचते हैं और सुरेश ने यही किया पिछले 5 साल से सुरेश उस घोड़ी से समय-समय पर मिलने जाते हैं और उसकी खिलाई पिलाई का भी ध्यान रखते हैं।
यह घटना हमें किसी ने शेयर करी है जो कि बहुत ही रोचक लगी इसलिए आप लोगों से शेयर किया यदि आप इस बात से सहमत हैं तो आप भी इसके लिए कोई प्रयास करें और जानवरों का भी उतना ही ध्यान रखें जितना कि आप इंसानों का रखते हैं क्योंकि इन्हीं के द्वारा हम अपने जीवन में कई चीजें अच्छे से कर पाते हैं चाहे वह शादी में इस्तेमाल करने वाली घोड़ी हो या आपके घर की रखवाली करने वाला कुत्ता या आपके दूध की जरूरत को पूरी करने वाली एक गाय अगर यह जानवर ना होते तो हम भी ना होते।