लंदन । भारतीय महिला हॉकी टीम को आयरलैंड के खिलाफ पेनल्टी शूट आउट में गुरुवार को 1-3 से हार का सामना करना पड़ा और इसके साथ ही उसका 44 साल बाद महिला विश्वकप हॉकी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचने का सपना टूट गया।
भारत और आयरलैंड के बीच निर्धारित समय तक मुकाबला गोल रहित बराबर रहने के बाद शूट आउट का सहारा लिया गया जिसमें भारतीय टीम एक ही निशाना साध सकी जबकि आयरलैंड ने तीन बार गेंद को गोल में पहुंचाया। भारतीय टीम ने क्रॉस ओवर मैच में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुये इटली को 3-0 से हराया था और क्वार्टरफाइनल में पहुंची थी जहां उसे आयरलैंड से हार का सामना करना पड़ा। भारतीय टीम को ग्रुप चरण में भी आयरलैंड के हाथों 0-1 से हार झेलनी पड़ी थी।
विश्व में 10वें नंबर की टीम भारत का 16वें नंबर की टीम आयरलैंड से निर्धारित समय में मुकाबला जबरदस्त रहा और दोनों टीमें कोई गोल नहीं कर सकीं। शूट आउट में आयरलैंड की टीम बेहतर साबित हुई। भारत ने शूटआउट में पहले तीन मौके गंवाए और इसके साथ ही उसके हाथ से 44 साल बाद सेमीफाइनल में जाने का मौका निकल गया।
सातवीं बार विश्वकप खेल रही भारतीय टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1974 के विश्वकप में चौथा स्थान रहा है लेकिन टीम इस बार उम्मीदें जगाने के बावजूद उस मंजिल तक नहीं पहुंच सकी। शूटआउट में भारतीय गोलकीपर सविता निराश कर गयीं जबकि इससे पहले तक उनका टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन रहा था। कप्तान रानी, मोनिका और नवजोत कौर ने शूटआउट में मौके गंवाए जबकि रीना खोखर ने चौथा प्रयास गोल में पहुंचाया।
क्लो वाटकिंस ने पांचवें प्रयास में जैसे ही सविता को पराजित किया आयरलैंड का पूरा खेमा ख़ुशी से झूम उठा। आयरलैंड ने इस जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बना ली जहां उसका मुकाबला चार अगस्त को स्पेन से होगा।
भारतीय टीम इस साल राष्ट्रमंडल खेलों में अोलंपिक चैंपियन इंग्लैंड से हारकर चौथे स्थान पर रही थी। भारत को अब 18 अगस्त से इंडोनेशिया में शुरू होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के इरादे से उतरना होगा ताकि उसे सीधे ही 2020 के टोक्यो ओलम्पिक का टिकट मिल सके। भारतीय टीम 1974 के विश्वकप में चौथे स्थान पर रहने के बाद 1978 में सातवें, 1983 में 11वें, 1998 में 12वें, 2006 में 11वें और 2010 में नौंवें स्थान पर रही थी।