तनावमुक्त युवाओं से संभव ऊर्जायुक्त भारत का निर्माण- ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि
तनाव एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे आपके दिमाग को खोखला बनाकर आपको समाज से दूर कर देती है और अकेलेपन का शिकार होकर आप जीवन को त्यागने पर उतारू हो जाते हैं। हम इस बात को समझने में चूक कर जाते हैं कि किसी चीज के लिए असंतोष, गुस्सा या असहमति पर प्रतिक्रिया देना, उसके लिए हाथ पैर मारना हम सबका स्वाभाव होता है। फिर यदि हम इन चीजों या चाहतों के पूरा न होने पर खुद के भीतर तनाव पैदा कर लेते हैं तो यह हमारी सबसे बड़ी गलतियों में से एक है। ऐसा मानना है योग और ध्यान के जरिए लोगों को तनावमुक्त जीवन जीने का गुण सिखाने वाले ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि जी का जिन्होंने ऊर्जा भारत मिशन की शुरुआत कर देश के युवाओं व जरूरतमंद वर्गों को मुख्य धारा से जोड़ने की पहल की है।
योग व ध्यान से दूरी बढ़ा रही तनाव
आज तेजी से भागते इस दौर में नाबालिग से लेकर बालिग तक, युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई तनावग्रस्त ही नजर आता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि तनाव बढ़ रहा है और जिंदगियां खत्म होती जा रही हैं। हम प्रगति और विकास के तो तमाम दावें करते हैं लेकिन लगातार बढ़ता तनाव हमारे समाज में प्रमुख जगह बनाते जा रहा है। इसकी एक खास वजह हमारे समाज का योग और ध्यान से दूरी बनाना भी है। योग हमारे अंदर ऊर्जा का प्रवाह करता है और ऊर्जा से ही हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर को कार्य करने की शक्ति प्रदान करता है। जाहिर सी बात है कि यदि हम मानसिक रूप से शांत नहीं है तो हम न ही शारीरिक सुख की अनुभूति कर पाएगें और न ही किसी प्रकार का सांसारिक सुख हमें प्राप्त होगा। योग और ध्यान के माध्यम से आंतरिक सुख शांति को प्राप्त करना विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित किया जा चुका है।
युवाओं की मानसिक एवं शारीरिक आरोग्यता के लिए योग जरूरी
मानव शरीर का अपना एक विज्ञान है, जिसमें रासायनिक परिवर्तन एवं ऊर्जा प्रवाह के लिए योग का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान समय में यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि हमारे देश का ज्यादतर युवा मष्तिष्क चिंता, तनाव, अनिद्रा, अवसाद जैसे मनोरोगों से ग्रस्त है और इसे दूर करने का सबसे कारगर उपाय ध्यान व प्राणायाम ही है। हमें यह बात समझनी होगी कि जीवन एक प्रकार से संघर्ष का ही दूसरा नाम है और योग व ध्यान जैसी आदतें ही हमारे भीतर संघर्ष करने की क्षमता को ऊंचा उठाना। और अगर हम असल में तनाव से मुक्ति पाना चाहते हैं तो हमें इसका प्रयास भी खुद ही करना होगा। अगर हम फिलोसॉफी के रूप में तनाव को समझने की कोशिश करें तो ये मान लेना उचित होगा कि जीवन एक रेल गाड़ी है जिसके डब्बे कटते-जुड़ते है, मगर रेल गाड़ी एक स्टेशन से दुसरे स्टेशन पर लगातार चलती रहती है। यानी तनाव मन चाही चीज का भरपूर आनंद लेने से कम होता है, परन्तु वो भी मर्यादा में रह कर किया जाए तो।
वैज्ञानिकों ने भी माने योग के गुण
ऊर्जा भारत मिशन के जरिये देश के हर एक नागरिक को योग और ध्यान से जोड़ने की मुहीम चलाई जा रही है। ऊर्जा भारत के तहत तनाव के बेहद मामूली कारणों पर भी जोर दिया जा रहा है। एक उदाहरण के रूप में समझें तो एक स्टूडेंट के लिए पढ़ाई का दबाव, अच्छे अंक लाने का दबाव इतना ज्यादा होता है कि वे खेल-कूद, मौज-मस्ती तक भूलकर अपनी उम्र से ज्यादा गंभीरता से पढ़ाई में जुट जाता है। यदि इसमें कहीं जरा-सी भी कोताही रह जाए तो छोटी उम्र में मौत को गले लगाने वाले बच्चों के ग्राफ में बढ़ोतरी होना तय है। वहीं पूर्ण युवा विचारों की बात करें तो कुछ लोगों के लिए नौकरी से संतुष्ट न होना या नौकरी छूट जाने का डर, आर्थिक संकट, प्रेम संबंधों या वैवाहिक संबंधों की समस्याएं, पारिवारिक अभाव, बच्चे का स्कूल या नया मकान ढूंढने से लेकर रिटायरमेंट के डर तक, उनके साथ तनाव के ऐसे छोटे-बड़े कारणों की एक लंबी लिस्ट होती है।
हममे से ज्यादातर लोग जाने अनजाने तनाव की गिरफ्त में आ ही जाते हैं। विज्ञान हमें ध्यान के जरिये तनावमुक्त रहने की बात कहता है। ध्यान व प्राणायाम हर मायने में हमारे अंदर ऊर्जा का प्रवाह जारी रखता है। वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जब कोई शख्स योग करता है तो उसे फिजिकल ट्रेनिंग के मुकाबले काफी कम ऊर्जा खर्च करनी होती है, जबकि इसका फायदा सामान्य एक्सरसाइज के मुकाबले काफी ज्यादा होता है।