नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी इंडिगो ने लागत कम करने के लिए कर्मचारियों पर होने वाले खर्च में कटौती और पुराने विमान वापस करने की योजना बनाई है।
इंडिगो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोनोजॉय दत्ता ने मंगलवार को बताया कि एयरलाइन एयरबस के पुराने ‘करेंट इंजन ऑप्शन’ (सीईओ) विमानों को वापस कर उनकी जगह नए ‘न्यू इंजन ऑप्शन’ (निओ) विमानों को अपने बेड़े में शामिल करेगी। सीईओ विमानों की तुलना में निओ विमानों की ईंधन खपत कम है और इसलिए वे किफायती हैं। इनके रखरखाव का खर्च भी कम है।
वित्त वर्ष 2019-20 के वित्तीय परिणामों की घोषणा के बाद निवेशकों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल में कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी आदित्य पांडे ने बताया कि कंपनी विमानों की लीज राशि के साथ ही अन्य स्थिर लागत भी कम करने की योजना बना रही है। स्थिर लागत 40 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में वह लागत कम करके तीन-चार हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी जुटाने की योजना बना रही है। इसमें कर्मचारियों के वेतन में कटौती, लाभांश नहीं देना और विमानों के लीज और रखरखाव पर होने वाला खर्च भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष में कर्मचारियों पर होने वाले खर्च में 25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। वेतन में कटौती के साथ ही प्रदर्शन के आधार पर दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में भी कटौती की जाएगी।
एक प्रश्न के उत्तर में पांडे ने कहा कि अगले दो साल में 120 सीईओ विमानों का लीज समाप्त हो रहा है जिन्हें कंपनी आगे नहीं बढ़ाएगी। उनकी जगह पर नए निओ विमानों को बेड़े में शामिल किया जाएगा हालांकि जरूरी नहीं है कि जितने विमान बेड़े से हटाए जाएंगे उतने ही नए विमान लिए जाएं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कोविड-19 के बाद देश का विमानन क्षेत्र किस गति से आगे बढ़ता है और हवाई यात्रा की मांग कितनी रहती है।
कंपनी को वित्त वर्ष 2019-20 की 31 मार्च को समाप्त अंतिम तिमाही में 871 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। निदेशक मंडल ने निवेशकों को कोई लाभांश नहीं देने की भी घोषणा की है।