Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
Industrial Relations Code Bill introduced in Lok Sabha amid opposition from opposite party - Sabguru News
होम Delhi विपक्ष के विरोध के बीच औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक लोकसभा में पेश

विपक्ष के विरोध के बीच औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक लोकसभा में पेश

0
विपक्ष के विरोध के बीच औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक लोकसभा में पेश
Industrial Relations Code Bill introduced in Lok Sabha amid opposition from opposite party
Industrial Relations Code Bill introduced in Lok Sabha amid opposition from opposite party
Industrial Relations Code Bill introduced in Lok Sabha amid opposition from opposite party

नई दिल्ली। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मजदूर संगठनों के नियमन से संबद्ध औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक को असंवैधानिक तथा श्रमिक विरोधी बताते हुये लोकसभा में इसे पेश करने का आज विरोध किया तथा विधेयक को विचारार्थ स्थायी समिति में भेजने की माँग की।

विपक्ष के विरोध के बीच ही श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने विधेयक सदन में पेश करने की अनुमति माँगी जिसे सदन ने ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि इस विधेयक में कोई ऐसी बात नहीं है जो श्रमिकों के हितों के खिलाफ हो। सभी श्रम संगठनों, उद्योग संगठनों और अन्य संबद्ध पक्षों से विस्तृत चर्चा करने के बाद ही इसका प्रारूप तैयार किया गया है।

इससे पहले विपक्ष के कई सदस्यों ने खड़े होकर विधेयक पेश करने का विरोध किया। माकपा के तीनों सदस्य उनकी बात नहीं सुने जाने पर सदन से बहिर्गमन कर गये।

रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह विधेयक संविधान की भावना, मूल अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय श्रम कानूनों का उल्लंघन करता है। इसमें श्रमिकों को मिलकर प्रबंधन के सामने अपनी शर्तें रखने का अधिकार नहीं दिया गया है। साथ ही उनके संघ बनाने के अधिकार को भी कम किया गया है। उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठनों के गठन के लिए जो नियम तय किये गये हैं उससे 85 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयाँ इस कानून के दायरे से बाहर हो जायेंगी।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि किसी श्रमिक या श्रमिक संगठन ने सरकार से श्रम कानूनों में बदलाव की माँग नहीं की थी। सरकार ने उद्योग संगठनों की सिफारिश पर कानून में बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में श्रमिकों के कुछ मूलभूत अधिकारों को सीमित करने का प्रयास किया गया है। उनके हड़ताल करने और काम बंद करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा भी प्राप्त नहीं है। उनके एकजुट होकर प्रबंधन से बात करने के बारे में विधेयक में कोई अधिकार नहीं दिया गया है। दूसरी ओर, न्यायाधिकरण को असीमित अधिकार दे दिये गये हैं। इसलिए वह इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करते हैं।

माकपा के सदस्यों ने भी अपनी बात रखने की कोशिश की लेकिन अध्यक्ष ने यह कहते हुये उन्हें मौका नहीं दिया कि उन्होंने पहले से इसके लिए नोटिस नहीं दिया है। इसके बाद माकपा सदस्य सदन से बाहर चले गये।