श्रीगंगानगर। राजस्थान में गंगानगर के ग्वार गम के बेताज बादशाह, उद्योगपति और जमींदारा पार्टी (नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी) के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष बीडी अग्रवाल (65) का आज सुबह निधन हो गया।
अग्रवाल कुछ दिनों से गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती थे, जहां तड़के उन्होंने आखिरी सांस ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार बी डी अग्रवाल विगत विगत छह सिंतबर को जयपुर में एक अधिवक्ता से मिलने गए थे, जहां सीढ़ियों पर चढ़ते समय गिर गए थे।
उन्हें उपचार के लिए पहले जयपुर और फिर नई दिल्ली के एक हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां से मेदांता गुड़गांव में भर्ती करवाया गया। जानकारी के मुताबिक इसी इलाज के दौरान वह कोरोना से ग्रसित हो गए। पिछले सप्ताह उनका एक ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद हालत में सुधार हो गया। पिछले हफ्ते उनको छुट्टी दे दी गई थी।
स्थानीय रीको उद्योग विहार में उनकी विकास डब्ल्यू एसपी लिमिटेड फैक्ट्री परिसर स्थित निवास पर लाया गया लेकिन एक दिन बाद ही उन्हें तबीयत बिगड़ जाने पर यहां के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जांच किए जाने पर उन्हें कोरोना से ग्रसित पाया गया। अभी चार दिन पूर्व अग्रवाल को मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गांव में भर्ती करवाया गया था। जहां उनका निधन हो गया।
उनके निधन की खबर मिलते ही अंचल में शोक की लहर दौड़ गई। उनका अंतिम संस्कार शाम को विकास डब्ल्यू एसपी लिमिटेड परिसर में उनके निवास के पीछे किया गया। चिता को मुखाग्नि उनकी बेटी पूर्व विधायक कामिनी जिंदल ने दी।
बीडी अग्रवाल ने श्रीगंगानगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए पहला कदम उठाया। उन्होंने इस कॉलेज के भवन निर्माण के लिए 225 करोड़ रुपए का सहयोग करने की घोषणा की। मेडिकल कॉलेज के निर्माण की मांग को लेकर संघर्ष कर रही समिति को उन्होंने एकाएक बैठक में आकर 100 करोड़ का चेक देकर चौंका दिया था।
सितंबर 2013 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिला अस्पताल परिसर में सेठ बीडी अग्रवाल सरकारी मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया। हालांकि बाद में इस कॉलेज का निर्माण राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान की भेंट चढ़ गया, जिसके चलते अब तक शुरू नहीं हो पाया। मेडिकल कॉलेज का स्वप्न लिए ही वह दुनिया से विदा हो गए। उन्होंने भाजपा की पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान मेडिकल कालेज के लिए हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ी।
1980 के दशक में हरियाणा के सिरसा(हरियाणा) से श्रीगंगानगर में आकर दलहन और दाल मिल का व्यवसाय शुरू करने वाले बीडी अग्रवाल ने बाद में रीको उद्योग विहार में ग्वार गम की शत-प्रतिशत निर्यातक इकाई विकास डब्ल्यू एसपी की स्थापना की। इस औद्योगिक इकाई ने ग्वार गम के उत्पादन के कीर्तिमान स्थापित करके कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए।
दिवंगत अग्रवाल कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े थे। श्रीगंगानगर में उन्हें समाज सेवा में अग्रणी स्थान हासिल था। अपने पिता मेघराज जिंदल के नाम से चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने समाज सेवा की कई गतिविधियों को शुरू किया।
अग्रवाल वर्ष 2010 में उद्योग जगत में एकाएक उभरे जब ग्वार और ग्वार गम के भाव में अप्रत्याशित तेजी हुई। इस तेजी काल में ग्वार के भाव 30 हजार रुपए किंवटल से भी अधिक हो गए थे। इस दौरान ग्वार के व्यापारियों के खूब वारे न्यारे हुए। लोगों ने रातों-रात करोड़ों रुपए कमाए।
इससे बीडी अग्रवाल की पूरे एशिया में ही नहीं यूरोप के देशों में भी तूती बोलने लगी। उन्होंने कई विदेशी कंपनियों के साथ अनुबंध करके ग्वार और ग्वार गम के कारोबार को नई बुलंदियों पर पहुंचाया। क्षेत्र के किसानों को उन्नत किस्म के गवार बीज देकर इस फसल को बढ़ावा दिया। इससे किसानों को भी बहुत लाभ मिला।