जयपुर। राजस्थान के कोटा में जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा वहीं जोधपुर, बीकानेर एवं बाड़मेर के अस्पतालों में भी बच्चों की मौत हो जाने के मामले सामने आ रहे है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोटा के जेके लोन अस्पताल में शनिवार को तीन और बच्चों के दम तोड़ देने से वहां गत पैतीस दिनों में मृतक बच्चों की संख्या करीब 110 पहुंच गई। इसके अलावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिला जोधपुर में सरकारी अस्पतालों में गत दिसम्बर में 146 बच्चों की मौत हो जाने की बात सामने आ रही है जबकि बीकानेर के सरकारी अस्पताल में 162 बच्चे दम तोड़ चुके है।
इसी तरह बाड़मेर अस्पताल में भी गत दिसम्बर में 29 बच्चों की मृत्यु हुई। बाड़मेर अस्पताल के आईसीयू में गत वर्ष जनवरी से दिसंबर तक 2966 बच्चे भर्ती हुए, इनमें 202 बच्चों की मौत हो गई। गत दिसंबर में 620 भर्ती बच्चों में 29 बच्चों ने दम तोड़ा।
उधर, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार को कोटा के जे के लोन अस्पताल का निरीक्षण किया और पीड़ित परिवारों से मिले। इस मौके पर पायलट ने कहा कि हम एक साल से सत्ता में है, यह कैसे संभव है कि मौतों का कोई जिम्मेदार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा जवाब संवेदनशील होने के साथ जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी पीड़ित परिवारों के घर जाकर उनसे मिले और कहा कि वह चाहते है कि बच्चों को कैसे बचाया जाए तथा कैसे बेहतर इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस पर विचार एवं काम होना चाहिए।
केन्द्र से आई उच्च स्तरीय टीम ने भी अस्पताल का दौरा किया और अस्पताल में व्यवस्था एवं बच्चों की मौत के बारे में जानकारी ली। टीम ने अलग-अलग वार्डों में जाकर हालात का जायजा लिया। टीम ने चिकित्सा अधिकारियों के साथ बैठक कर मौत के कारणों और उपलब्ध संसाधनों की समीक्षा भी की। टीम ने कोटा के चिकित्सा अधिकारियों को कई गांवों में भी भेजा और अस्पतालों की हालात की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए।
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुमरत सिंह तथा अन्य पदाधिकारियों ने भी कोटा अस्पताल में जायजा लिया। इसके बाद सिंह ने कहा कि अस्पताल में बच्चों की मृत्यु के बाद भी हालात ठीक नहीं है। अस्पताल में संसाधनों की कमी है तथा गंदगी जस की तस है। उन्होंने कहा कि सरकार को पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए।
कोटा में बच्चों की मौत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। जिसमें आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले में चार सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।