नई दिल्ली। साल 2022 तक किसानों की आय दाेगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही मोदी सरकार ने स्वीकार किया है कि ढांचागत सुधारों और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों की आमदनी कम हुई है।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में मौजूदा सरकार का अंतिम बजट पेश करते हुये यह बात कही। किसानों के लिए पैकेज की घोषणा से पहले उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कृषि संबंधी वस्तुओं की गिरती कीमतें और 2017.18 से खाद्य भिन्न क्षेत्र के सापेक्ष भारत में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट की वजह से कृषि आमदनी कम हो गई है। बारंबार विभाजन के कारण छोटी और विखंडित जोतों के कारण भी कृषक परिवार की आय में गिरावट आई है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 22 फसलों पर एमएसपी बढ़ाकर लागत को डेढ़ गुणा किया है। किसानों ने साढ़े चार साल में सरकार की किसान समर्थन नीतियों से सहायता पाकर रिकॉर्ड मात्रा में कृषि वस्तुओं का उत्पादन किया है। इसके बावजूद उनकी आमदनी कम हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यह कह चुके हैं कि सरकार ने किसानों की आय दुगुनी करने का जो लक्ष्य रखा है इससे उसका तात्पर्य सिर्फ खेती से नहीं, बल्कि खेती से जुड़ी अन्य गतिविधियों को मिलाकर कुल आमदनी दुगुनी करने से है।
इन अन्य गतिविधियों में मवेशी पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन आदि शामिल हैं लेकिन, कृषि मंत्री के कृषक परिवार की आय में भी गिरावट की स्वीकारोक्ति से इस लक्ष्य की चुनौती स्पष्ट है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने शुक्रवार को पेश अंतरिम बजट में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कामधेनु आयोग बनाने तथा मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए अलग से मत्स्य विभाग के गठन की भी घोषणा की है। साथ ही उसने दो हेक्टेयर या उससे कम की जोत वाले किसानों को सालाना छह हजार रुपए की नकद वित्तीय मदद का भी प्रावधान किया है।