नई दिल्ली। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 का 97,43,039.70 करोड़ रुपए का कुल बजट पेश करते हुए अप्रेल से जुलाई की अवधि के लिए 34,17,295.38 करोड़ रुपए का लेखानुदान माँगा है।
इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं और चुनाव के बाद जून-जुलाई में नई सरकार दुबारा बजट पेश करेगी। इस दौरान खर्च के लिए लेखानुदान मांगों का प्रावधान होता है।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2019-20 का बजट का पेश किया। पूरे वर्ष के लिए 97,43,039.70 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इसमें 68,19,525 करोड़ रुपए का भारित प्रावधान और 29,23,514.70 करोड़ रुपए का स्वीकृत प्रावधान किया गया है।
साथ ही अप्रेल से जुलाई 2019 के दौरान संभावित रूप से खर्च किए जाने वाले व्यय को पूरा करने के लिए आवश्यक राशि के रूप में 34,17,295.38 करोड़ रुपये का लेखानुदान मांगा है। इसमें 22,84,264.49 करोड़ रुपए की भारित मांग और 11,33,030.89 करोड़ रुपए की स्वीकृत मांग का प्रस्ताव है। सरकार ने बताया है कि कुछ विभागों को छोड़कर लेखानुदान मांगे आम तौर पर पूरे वर्ष के बजट का एक-तिहाई है।
अंतरिम बजट की मुख्य बातें
– मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का आवंटन।
– पांच लाख रुपए तक की आय कर मुक्त।
– तीन करोड़ मध्यम आय करदाताओं को 23,000 करोड़ रुपए की कर राहत।
– मानक कटौती 40 हजार रुपए से बढ़कर 50 हजार रुपए।
– टीडीएस के लिये ब्याज से अर्जित आय की सीमा 10 हजार रुपए से बढ़कर 50 हजार रुपए।
– मौजूदा कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं।
– दूसरे मकान के किराये से अर्जित आय पर कर छूट।
– राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान।
– वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का तीन प्रतिशत करने का लक्ष्य।
– कुल व्यय 13 प्रतिशत बढ़कर 27 लाख 84 हजार 200 करोड़ रुपए।
– पूंजीगत व्यय तीन लाख 36 हजार 292 करोड़ रुपए।
– केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लिए आवंटन बढ़कर तीन लाख 27 हजार 679 करोड़ रुपए।
– राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के लिए आवंटन 20 प्रतिशत बढ़कर 38 हजार 572 करोड़ रुपए।
– एकीकृत बाल विकास योजना का आवंटन 18 प्रतिशत बढकर 27 हजार 584 करोड़ रुपए।
– अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए आवंटन 35.6 प्रतिशत बढकर 76 हजार 801 करोड़ रुपए।
– जनजाति के कल्याण के लिए आवंटन 28 प्रतिशत बढ़कर 50 हजार 86 करोड़ रुपए।
– सरकार को 80 हजार करोड़ रुपए के विनिवेश का भरोसा।