नई दिल्ली। भारत और मालदीव ने गुरुवार को आतंकवाद के सभी स्वरूपों की पुरजोर निंदा की और इससे निपने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता बताई।
आतंकवाद के मुद्दे पर भारत-मालदीव के संयुक्त कार्यकारी समूह की पहली बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, देशों ने इस बात पर जोर दिया कि सभी देश तत्काल, सतत, सत्यापन योग्य कार्रवाई करें ताकि उनके नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र का इस्तेमाल दूसरे देश पर आतंकवादी हमलों के लिए नहीं किया जाए तथा ऐसे हमलों को अंजाम देने वालों को जल्द न्याय के कठघरे में लाया जाए।
आतंकवाद निरोधक कार्रवाई, हिंसक उग्रवाद को रोकने तथा कट्टरपंथ को कम करने पर संयुक्त कार्यसमूह की इस बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने किया, जबकि मालदीव के दल का नेतृत्व वहां के विदेश सचिव अब्दुल गफूर मोहम्मद ने किया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि बैठक में दोनों देशों ने कट्टरपंथीकरण और हिंसक अतिवाद का मुकाबला करना, आतंकवाद के वित्तपोषण से रोकना, आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के लिए इंटरनेट के दोहन को रोकना, सूचना साझा करना, क्षमता निर्माण और पुलिस, सुरक्षा बलों, सीमा शुल्क, आव्रजन और अन्य संबंधित एजेंसियों के बीच संस्थागत संपर्क स्थापित करने सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किया। साथ ही दोनों देशों ने मादक पदार्थों और मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर विचार- विमर्श किया।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) ने आतंकवाद, कट्टरता और हिंसक वारदातों से मुकाबला करने में जो चुनौतियां पेश की है, इस पर भी बैठक में चर्चा हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा, बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों और मालदीव की अन्य संबंधित एजेंसियों के लिए सहायता और क्षमता निर्माण शामिल होगा साथ ही साथ आतंकवाद तथा हिंसक चरमपंथ को रोकने और उनका मुकाबला करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान में सहयोग शामिल है।