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स्वार्थी भरा जीवन छोड़ें, संयुक्त परिवार में एक बार फिर से 'खुशियां लौटाएं' - Sabguru News
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स्वार्थी भरा जीवन छोड़ें, संयुक्त परिवार में एक बार फिर से ‘खुशियां लौटाएं’

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स्वार्थी भरा जीवन छोड़ें, संयुक्त परिवार में एक बार फिर से ‘खुशियां लौटाएं’
International Family Day Special
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सबगुरु न्यूज। आज 15 मई को एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिससे संसार भर के सभी लोग संबंध रखते हैं। यही नहीं सामाजिक ताना-बाना भी हम परिवार से ही बुनते आ रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस यानी (फैमिली डे) के बारे में। संयुक्त परिवार या एकीकरण परिवार समाज में एकता की सबसे पहली सीढ़ी मानी जाती रही है। परिवार के सदस्यों का घरों में एक साथ बैठना, भोजन करना, सामूहिक रूप से तीज, त्योहारों में शामिल होना आप सभी को याद होगा।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों से समाज में जैसे भागमभाग और विघटन हुआ है उससे संयुक्त परिवार के मायने बदल कर रख दिए हैं। आज गांव हो या छोटे शहर या बड़े शहरों में संयुक्त परिवार बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। बड़े परिवारों का टूटना, छोटे परिवारों में आकर सिमट जाना इसका सबसे बड़ा कारण मनुष्यों की स्वार्थी सोच रही है। बदलते समय के साथ परिवार के मायने और मतलब भी बदलते जा रहे हैं।

संयुक्त परिवार, मूल परिवार के रूप में छोटा हो जाता जा रहा है। हम स्वार्थी होने की बजाय दूसरे के बारे में सोचें यानी खुद से पहले परिवार के सदस्यों के बारे में सोचें। परिवार में पत्नी और मां हमेशा ऐसा करती हैं जब वह परिवार के दूसरे सदस्यों को पहले खाना खिलाती है और खुद आखिर में खाती है। हमें भी उनसे सीखकर इस भावना को अपने व्यवहार में उतारना होगा । बुजुर्गों और बच्चों का सम्मान करना और उन्हें प्यार करना हमारे अच्छे शिष्टाचार को दिखाता है। इसके अलावा बड़ों से सम्मान के साथ बात करना, परिवार में किसी को जरूरत हो तो उनकी मदद करना ये सारी चीजें भी शिष्टाचार का ही हिस्सा हैं। वैसे भी इंसान को पसंद या नापसंद करने की वजह उनका व्यवहार और शिष्टाचार ही होता है।

परिवार हमें सुरक्षित महसूस कराने का एहसास कराता है

परिवार हमें सुरक्षित महसूस कराता है, यह हमें जीवन में किसी के होने का एहसास दिलाता है जिसके साथ आप अपनी समस्याओं को साझा कर सकते हैं। यह दिन एक दूसरे के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का भी एहसास दिलाता है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस या विश्व परिवार दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के समय में परीवार के साथ मिलकर इस मुश्किल हालातों से लड़ना है और सबके साथ मिलकर आगे भी बढ़ना है। साथ ही यह दिन एक मजबूत परिवार इकाई कैसे मजबूत समाजों और राष्ट्रों को बनाने में मदद करती है के बारे में भी प्रेणना देता है।

परिवार न केवल एक स्वस्थ और अच्छी तरह से संतुलित परिवार के महत्व को बढ़ावा देता है, बल्कि आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सामाजिक प्रक्रियाओं के ज्ञान को भी बढ़ाता है जो परिवारों को प्रभावित करते हैं। मुसीबत के समय घर ही याद आता है और वही आपको शरण देता है। आज जब सब लोगों के सामने संकट आ खड़ा हुआ है तो परिवार न केवल याद आ रहा है, बल्कि परिवार ही शरण दे रहा है।

जो लोग परिवार से जुड़े हैं या कहीं अपना परिवार देख पा रहे हैं, वे कहीं न कहीं दूसरों की बजाय बहुत सुकून में हैं। लाॅकडाउन में जब सब कुछ थम सा गया है और माहौल इतना बोझिल है कि दम घुटता ही है, परिवार ने लोगों को बचाया है और संबल दिया है। जो व्यक्ति परिवार से अलग कहीं अटके पड़े हैं, उनके हृदय की व्यथा सिर्फ वे ही जान सकते हैं । आखिर हम उसकी अहमियत को समझें और अपनी संवेदनाओं में, अपने जीवन में वापस उसे स्थान दें।

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है परिवार में विघटन न हो

हम पुराने युगों की बात करें या धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भी बात करें तो आज की ही तरह पहले भी परिवारों का विघटन हुआ करता था, लेकिन आधुनिक समाज में परिवार का विघटन आम बात हो चुकी है। ऐसे में परिवार न टूटे इस कारण अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार के बीच में रहने से आप तनावमुक्त व प्रसन्नचित्त रहते हैं। साथ ही आप अकेलेपन या डिप्रेशन के शिकार भी नहीं होते। यही नहीं परिवार के साथ रहने से आप कई सामाजिक बुराईयों से अछूते भी रहते हैं।

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस का मुख्य उद्देश्य युवाओं को परिवार के प्रति जागरूक करना है ताकि युवा अपने परिवार से दूर न हों। परिवार चाहे जैसा भी हो लेकिन हमेशा वह अपनों के हितों को ध्यान में जरूर रखता है. दुनिया फिलहाल जिस दौर से गुजर रही है। ऐसे दौर में परिवार की अहमियत और भी बढ़ जाती है। हर मानव को उसके परिवार के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है । समाज की परिकल्पना परिवार के बगैर अधूरी है और परिवार बनाने के लिए लोगों का मिलजुल कर रहना व जुड़ना बहुत जरूरी है।

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1993 में हुई थी

साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली ने अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस की शुरुआत की थी। यहीं हर साल 15 मई के दिन इसे मनाने की घोषणा की गई थी। इस दिवस को दुनियाभर के समुदायों व लोगों को उनके परिवारों से जोड़ने, सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करने, परिवार से जुड़ी मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैलाने, परिवार नियोजन की जानकारी देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस को पहली बार साल 1996 में मनाया गया था।

इसका थीम गरीबी और बेघरता रखा गया था। इसके माध्यम से ही इस दिवस की शुरुआत की गई थी। 1996 के बाद से अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस को एक खास थीम के जरिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने भी विशेष थीम आधारित करने को लेकर इसकी अनुशंसा की. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस 2020 का थीम ‘परिवार और जलवायु संबंध’ रखा गया है। आओ विश्व परिवार दिवस के मौके पर संकल्प लें कि हम परिवार की खुशियां एक बार फिर से लौटाएं।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार