नयी दिल्ली। दलितों के अधिकारों के लिए सक्रिय संगठन ‘भीम आर्मी ’ने दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान हिंसा भडकाने के दोषियों का पता लगाने के लिए न्यायिक जांच समिति गठित करने की आज मांग की और कहा कि 17 अप्रैल तक यह मांग नहीं मानी गयी तो उसके अगले दिन संसद मार्च आयोजित किया जाएगा।
भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारक कानून पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर दो अप्रैल को आयोजित भारत बंद पूरीतरह शांतिपूर्ण था । उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस समेत कुछ तत्वाें ने इसमें हिंसा फैलायी। उन्होंने पूरे मामले की जांच कर हिंसा के दोषियों का पता लगाने के लिए न्यायिक समिति गठित करने की मांग की ताकि उन्हें दंडित किया जा सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि दो अप्रैल के बाद दलिताें पर पुलिस का दमनचक्र चल रहा है। बेगुनाह युवकों पर फर्जी मामले दर्ज किये जा रहे हैं। उन्होंने बेगुनाह लोगों के खिलाफ फर्जी मामले तत्काल वापस लेने तथा हिंसा में मारे गये लोगों के परिजनों काे सहायता राशि देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की।
सिंह ने चेतावनी दी कि यदि 17 अप्रैल तक उनकी मांगे नहीं मानी गयीं तो समुदाय के लोग 18 अप्रैल को मुंह पर काली पट्टियां बांधकर संसद मार्च करेंगे और सामूहिक गिरफ्तारी देंगे। उन्होंने देश के सभी अमनपसंद संगठनों से इस मार्च में शामिल होने का आह्वान किया।
उन्होंने राष्ट्रपति और समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सांसदों ,विधायकों तथा अन्य जनप्रतिनिधियाें से उनका साथ देने का अनुरोध करते हुए कहा कि यदि इन लोगों ने साथ नहीं दिया तो सबका बहिष्कार किया जाएगा।
उन्होंने ऐलान किया कि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में एक न्यास बनाया जाएगा और भारत बंद के दैरान हिंसा में मारे गये लोगों को एक -एक लाख रूपये की सहायता राशि दी जाएगी।