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भाजपा को राज्य की चिंता या सस्ती लोकप्रियता, लोढ़ा के ट्वीट में ये दावा!

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भाजपा को राज्य की चिंता या सस्ती लोकप्रियता, लोढ़ा के ट्वीट में ये दावा!
संयम लोढ़ा ने ट्वीट से साधा भाजपा पर निशाना।
संयम लोढ़ा ने ट्वीट से साधा भाजपा पर निशाना।
संयम लोढ़ा ने ट्वीट से साधा भाजपा पर निशाना।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। वित्त मंत्री अशोक गहलोत के द्वारा प्रस्तुत बजट की प्रतिलिपि के साथ सभी 200 विधायको को आईफोन-13 देने के विवाद में ससंयम लोढ़ा के ट्वीट ने एक और कड़ी जोड़ दी है।

लोढा के ट्वीट द्वारा लगाए गए आरोपों में लेशमात्र भी सच्चाई है भाजपा का आईपैड 13 फिर से लौटाने का निर्णय राज्य की जनता के धन की चिंता से ज्यादा सस्ती लोकप्रियता बटोरना लग रही है ।
-ये किया ट्वीट
संयम लोढा ने भाजपा द्वारा आईफोन लौटाने की खबर को  सतीष पूनिया, राजेन्द्र राठौड़ व गुलाबचंद कटारिया को टैग करते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि ‘इसी विधानसभा के पहले के सत्रों में लैप्टॉप, आइपैड दिए गए थे, वो तो वापस किए नहीं। 30 लाख के फ़्लैट का क्या ?’
लोढा ने आगे लिखा कि यह भी ध्यान रहे की काम से जुड़ी वस्तुएँ देने की प्रथा सबसे पहले वसुंधरा जी के पहले कार्यकाल में कम्प्यूटर से शुरू हुई थी।’
– आखिर क्यों चुप रही भाजपा
संयम लोढ़ा ने अपने ट्वीट में लेपटॉप, आईपैड और 30 लाख के फ्लैट से जुड़े दस्तावेज तो टैग नहीं किये। लेकिन, इन आरोपो में जरा भी सच्चाई है तो फिर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और विधायक  सतीश पूनिया से ये सवाल तो बनता ही है कि हर सरकार का ही घाटे का बजट रहता है।

ऐसे में कभी भी राज्य की वित्तीय स्थितियां उचित नहीं रही हैं। तो फिर इन लोगों ने कथित लैपटॉप, आईपैड और 30 लाख का फ्लैट क्यों स्वीकार किया?
– इतनी तनख्वाह तो मिलती ही है कि सुविधा जुटा लेवें
सिरोही के निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा अपने ट्वीट में भाजपा पर जायज सवाल उठाए हैं। लेकिन, इसी ट्वीट में उन्होंने लिखा कि काम से जुड़ी वस्तुएं देने की प्रथा राजे ने शुरू की। तो ये सवाल खुद मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा के इसी ट्वीट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी उठता है कि क्या विधायकों को इतनी कम तनख्वाह मिलती है कि वो अपने काम में आने वाली आवश्यक वस्तु नहीं खरीद सकते हैं?

दूसरा ये कि एक बार मान लिया कि विधायक इतने सक्षम नहीं है, तो क्या विधायकों को आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम वाला आईफोन देने की बजाय अच्छा एंड्रॉयड फोन देकर भी जनता का पैसा बचाया जा सकता था?

तीसरा ये कि क्या बजट सत्रों और विधेयक निर्माण की चर्चा में हिस्सा नहीं ले सकने वाले विधायक तकनीकी रूप से इतने सक्षम हैं कि आईफोन 13 के फोटो खींचने के अलावा अन्य इस्तेमाल कर सकें? चौथा ये कि कथित गांधीवादी मुख्यमंत्री द्वारा लोकतंत्र में विधायकों वीआईपी होने का अहसास करवाने के लिए ये महंगा गिफ्ट नहीं दिया गया था?