वाशिंगटन। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अमरीका के अलग होने की घोषणा की है।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस से प्रसारित अपने टेलीविजन भाषण में आज इस फैसले की घोषणा की। ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि वह इस एकतरफा समझौते को कमजोर करने के लिए ईरान पर अमरीकी आर्थिक प्रतिबंधों को फिर से शुरू करेंगे।
ट्रंप ने अपने संबाेधन में इस समझौते को अप्रासंगिक करार दिया। अमरीका के इस फैसले से पश्चिम एशिया में संघर्ष का खतरा बढ़ने के अलावा वैश्विक तेल आपूर्ति को लेकर भी अनिश्चितता बढ़ गई है।
ट्रंप ने 2015 में पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते को सबसे खराब करार दिया था। ट्रंप के मुताबिक ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत माने जाने वाले इस समझौते में ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है।
इसके अलावा वर्ष 2025 के बाद ईरान की परमाणु गतिविधियों तथा यमन और सीरिया में उसकी भूमिका को लेकर भी कोई बात नहीं की गयी है। ट्रंप ने कहा कि यह समझौता ईरान काे परमाणु हथियार बनाने से राेकने में असमर्थ है। ट्रंप ने अपने संबोधन में ईरान के शासकों की आलोचना करते हुए कहा कि ईरान का भविष्य वहां के लोगों से है।
एक पश्चिमी राजनयिक ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति का यह फैसला उनके यूरोपीय सहयोगियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि ईरान अमरीका के बिना भी इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से जुड़ा रहेगा। ईरान के सरकारी टेलीविजन के मुताबिक अमरीकी राष्ट्रपति का इस समझौते से बाहर होने का फैसला गैरकानूनी होने के अलावा अंतरराष्ट्रीय समझौतों को कमजोर करता है।
अमरीकी वित्त मंत्रालय के अनुसार ईरान के ऊर्जा, ऑटो और वित्तीय क्षेत्रों से संबंधित प्रतिबंधों को तीन से छह माह के भीतर दोबारा लगाया जाएगा। प्रतिबंधों के दोबारा लागू होने से ईरान को अपने कच्चे तेल के निर्यात के अलावा अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली का उपयोग करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ेगा। वहीं पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ट्रंप के इस फैसले को पथभ्रमित करार दिया है।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है। नेतन्याहू ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में कहा कि वह ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के अमरीका के इस कड़े फैसले का पूरा समर्थन करते हैं। इजराइली प्रधानमंत्री ने ट्रंप की ईरान नीति की सराहना करते हुए सीरिया में जारी संघर्ष का भी उल्लेख किया।
पश्चिम एशिया में ईरान के चिरप्रतिद्वंदी माने जाने वाले सऊदी अरब के अलावा अमरीका के अन्य सहयोगी अरब देशों ने भी ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में ईरान ने अमरीका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी।