बगदाद/मोसुल। इराक में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सफाये के बाद आज पहली बार संसदीय चुनाव के लिए मतदान हुआ।
देश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान केंद्रों को खोला गया और मतदान के दौरान भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। आईएस के खात्मे के बाद से यहां हिंसा की घटनाओं में गिरावट आई है लेकिन सामुदायिक हिंसा का खतरा अब भी बना हुआ है।
शिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रधानमंत्री पद के तीनों प्रमुख उम्मीदवार एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इन चुनावों को सीधे तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी और मौजूदा प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी के बीच मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है।
मलिकी 2006 से 2014 तक इराक के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उन पर सुन्नी मुस्लिमों की अनदेखी करने के आरोप लगते रहे हैं। आईएस के उदय के पीछे भी उनकी जन-विरोधी योजनाओं को ही जिम्मेदार माना जाता रहा है।
निवर्तमान प्रधानमंत्री अबादी दोबारा सत्ता में आने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने 2014 में जब देश की बागडोर संभाली थी, उस वक्त आईएस पूरी तरह देश में पैर पसार चुका था और इसे शिकस्त देने का लाभ वह इन चुनावों में लेना चाहते हैं।
शिया लड़ाकों के कमांडर हादी अल अमीरी भी चुनाव मैदान में हैं। आईएस को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले बद्र संगठन के नेता अमीरी इरान के समर्थन के दम पर चुनाव में खड़े हैं। उन्हें आईएस के खिलाफ लड़ाई में शिया सेना को खड़ा करने का श्रेय भी दिया जाता है हालांकि, उन पर सुन्नी समुदाय और कुर्दों पर अत्याचार के आरोप भी लगते रहे हैं।
मतदान के लिए बड़ी संख्या में लोग मतदान केंद्रों पर उमड़े हैं लेकिन ज्यादातर मतदाताओं को नयी सरकार से बहुत अधिक उम्मीद नहीं है। उन्हाेंने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि नयी सरकार भी देश को हिंसा, बेरोजगारी और असुरक्षा को दूर कर सकती है।
इराक में पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का शासन समाप्त होने के बाद चौथी बार संसदीय चुनाव हो रहे हैं। देश की 329 सीटों वाली संसद के लिए इस बार सात हजार से अधिक प्रत्याशी मैदान में हैं।
इनमें सबसे प्रचलित नाम 2008 में अमरीकी राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश पर जूते फेंकने वाले इराकी पत्रकार मुंतजर अल जैदी का है। इराक में ही नौ महीने जेल की सजा काटने के बाद जैदी अब सांसद बनकर देश के लिए काम करना चाहते हैं। देश की 3.7 करोड़ आबादी में से 2.4 करोड़ लोग मतदान के योग्य हैं।