भोपाल । मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की वर्किंग कमेटी के सदस्य डॉ सुनीलम ने आज आरोप लगाया कि बीना संयुक्त सिंचाई एवं बहुउद्देश्यीय परियोजना सागर जिले के बीना स्थित भारत-ओमान रिफाइनरीज लिमिटेड को फायदा पहुंचाने के लिए क्रियान्वित की जा रही है है और इससे उस क्षेत्र के 86 गांवों के लगभग 50 हजार किसान प्रभावित होंगे।
उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा में आराेप लगाया कि डूब प्रभावित क्षेत्र में आ रहे हजारों किसानों को इस बारे में कोई सूचना नहीं दी गई, कोई जनसुनवाई नहीं हुई, उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया और उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सागर जिले के खुरई में इस परियोजना के तहत बनने वाले बांधों का भूमिपूजन कर दिया गया है, जिसका असली मकसद किसानों का पानी छीन कर बीना रिफाइनरी और बिजली कारखानों को देना है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से इस परियोजना को बंद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रभावित किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में जल संसाधन मंत्री नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन भी सौंपा है।
सुनीलम ने इस मौके पर कहा कि धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक निजी कंपनी के श्रमिकों द्वारा पिछले 16 दिनों से भूख हड़ताल की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां मजदूरों को श्रमिक अधिनियमों का उल्लंघन करते हुए न्यूनतम पारिश्रमिक भी नहीं दिया जा रहा और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान से आग्रह किया कि वे श्रम विभाग के आला अधिकारियों को इस कंपनी के खिलाफ कार्यवाही करने अौर 76 श्रमिकों को काम पर वापस लेने के लिए निर्देशित करें।
केंद्र सरकार द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की गई घोषणाओं को किसानों की आखों में धूल झाेंकने वाली बताते हुए कहा कि ये धोखाधड़ी का प्रयास है। उन्होंने स्वामीनाथन समिति की अनुशंसाओं को लागू करने की मांग करते हुए कहा कि वर्तमान घोषणाओं के मुताबिक प्रदेश के हर किसान को प्रति क्विंटल फसल पर कम मूल्य मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इसके विरोध में नौ अगस्त को जेल भरो आंदोलन, आठ से 10 अक्टूबर के बीच देश की सभी मंडियों में एमएसपी अधिकार आंदोलन अौर 30 नवंबर को दिल्ली में किसान मुक्ति मार्च किया जाएगा।