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भौतिक सुख के पीछे भागने वाले मनुष्यों को एक वायरस सबक भी दे रहा है - Sabguru News
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भौतिक सुख के पीछे भागने वाले मनुष्यों को एक वायरस सबक भी दे रहा है

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भौतिक सुख के पीछे भागने वाले मनुष्यों को एक वायरस सबक भी दे रहा है

सबगुरु न्यूज। कुछ माह पहले तक समूचा विश्व भौतिक सुख लेने के लिए रफ्तार के सोपान पर सवार था। व्यस्तता इतनी हो गई थी कि मनुष्य को अपने और अपनों के बारे में सोचने के लिए चंद मिनटों की भी फुर्सत नहीं मिल रही थी। तरक्की, विकास, सुख-सुविधाओं की चाहत ने उसकी इंसानियत भी भुला कर रख दी थी। भागमभाग भरी जिंदगी में इंसान के पास सोचने का इतना भी समय नहीं बचा था कि समाज में आखिरकार हो क्या रहा है। लेकिन अचानक एक वायरस मनुष्य का सारा गुरुर, घमंड, शोहरत-दौलत सब चकनाचूर कर के रख देता है।

संसार भर के लोग जो रफ्तार भर रहे थे थम जाते हैं। उसके बाद शुरू होती है एक नई लड़ाई। इस लड़ाई में मनुष्य एक दूसरे से नहीं टकरा रहा, न उसके पास आज के बड़े-बड़े हथियार हैं न बम है न रॉकेट-लॉन्चर है बल्कि एक कोरोना वायरस की वजह से अब वही मनुष्य इस वायरस से खुद की जंग लड़ने में लगा हुआ है। भौतिकवादी इंसानोंं को यह वायरस सबक भी दे रहा है। आज मनुष्य इस वायरस के आगेे इतना इतना लाचार है कि उसे जान बचाने के लाले पड़ रहे हैं।

कोरोना वायरस इंसानियत का इम्तिहान ले रहा है

कोरोना वायरस दुनिया भर के लोगों का इम्तिहान भी ले रहा है। इस संकट की घड़ी में कोई एक दूसरे पर विश्वास नहीं कर पा रहा है। सभी लोग अपने अपने बचाव करने के तरीके ढूंढने में लगे हुए हैं। वैसे तो इंसान एक सामाजिक प्राणी है। लेकिन इन दिनों कोरोना से बचने के लिए इंसान अब सामाजिक दूरी अपना रहा है। इस महामारी ने हमारे रहन-सहन से लेकर खाने-पीने जैसी गतिविधियों को बदलकर रख दिया है।

दुनिया भर में लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिलाने से बच रहे हैं और भारतीय परंपरा में दूर से नमस्कार करने की परंपरा को अपना रहे हैं ताकि संक्रमण से बचा जा सके। बता दें कि हमारी भारतीय संस्कृति में किसी भी बड़े या आदरणीय व्यक्ति से मिलने पर दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार या प्रणाम करने की परंपरा है। हालांकि बहुत से भारतीयों का विदेशी कल्चर के प्रति झुकाव रहा है यही वजह है कि कुछ लोग नमस्कार की बजाय हाथ मिलाने और गले मिलने में ज्यादा यकीन करने लगे थे। सामान्य दौर में जब कोई बेचैन होता था या परेशान होता था तो उसे छूकर, थपथपाकर दिलासा दिया जाता था। मगर कोरोना वायरस के चलते अब सामान्य नहीं रहा।

आज दुनिया में दूसरे विश्व युद्ध जैसे हैं हालात

आज दुनिया के कई देशों में दूसरे विश्व युद्ध का माहौल जैसा है। कोरोना वायरस की वजह से मानव समाज को लगातार तबाही, आर्थिक संकट और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में तेजी के साथ ले जा रहा है। आज विश्व भर में कोई भी यह नहीं जानता की यह वायरस कब शांत होगा और कितनी तबाही मचाएगा। लेकिन एक बात जरूर है जब भी यह वायरस शांत होगा समाज में एक नई क्रांति जरूर देखी जाएगी, जिसकी शुरुआत अभी से होने लगी है। यानी सही मायने में सामाजिक परिवर्तन का दौर चलेगा जो कि काफी वर्षों तक जारी रह सकता है।

फिलहाल अभी मनुष्य इस सामाजिक परिवर्तन के लिए तैयार नहीं था लेकिन इस वायरस ने विश्व के तमाम देशों का गणित उलट कर रख दिया है। अमेरिका, यूरोप के अधिकांश विकसित देश आज बुरे दौर से गुजर रहे हैं। जैसे प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लाखों लोगों की मौत हुई थी। उसके बाद आर्थिक-सामाजिक परिवर्तन के रूप में दुनिया की नई तस्वीर उभर कर आई थी, वैसे ही आज कोरोना वायरस के बाद देश ही नहीं विदेशों में भी एक नए समाज की रचना का ताना-बाना बुना जाने लगा है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार