परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शिक्षा के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी राजकीय माध्यमिक(अंग्रेजी माध्यम) विद्यालय योजना को शिक्षा विभाग वाले पलीता लगाने को आतुर है। इस बात का इशारा सत्येंद्र सिंह राठौड़ द्वारा सूचना के अधिकार में जुटाए गए दस्तावेजों में दिए गए नियमों और चयनित शिक्षकों की नियुक्ति तिथि से मिल रहा है।
सिरोही जिले के आबूरोड शहर में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा के लिए बनाई गई महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में शिक्षक चयन प्रक्रिया के ये दस्तावेज, इसमें शिक्षा विभाग द्वारा चयन में कायदे ताक में रखने की ओर इशारा कर रहे हैं। महात्मा गांधी विशिष्ट विद्यालय में अध्यापन के लिए अंतिम चयन शिक्षा निदेशालय स्तर का होता है।
-लिखा कुछ और किया कुछ और
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालयों में शिक्षक चयन राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में ही कार्यरत शिक्षको में से किया जाता है। ऐसे में ये चयन अस्थाई है, लेकिन चयन के नियम बनाये गए हैं। आरटीआई में मिले दस्तावेजों के अनुसार इसके लिए निकाली गई विज्ञप्ति में स्पष्ट उल्लेख है कि इसमें शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों का चयन किया जाएगा।
इसका मतलब है कि पंचायत राज के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को इसमें पढ़ाने नहीं भेजा जाएगा। आबूरोड के महात्मा गांधी विद्यालय में यही किया गया। इसमें कई पंचायतराज विभाग के शिक्षकों को भी चयनित किया गया। ऐसा पात्र शिक्षको के अभाव में किया गया होता तो कोई विवाद नहीं था, लेकिन जिला स्तरीय चयन समिति और निदेशालय स्तर की अंतिम चयन समिति ने ये तब किया जबकि वाक इन इंटरव्यू में कथित रूप से अन्य पात्र लोग भी शामिल हुए थे। ऐसे में इसमें इस चयन को शैक्षिक स्तर सुधारने की बजाय गांवों से शहर में आने के माध्यम बनाने का आरोप लग रहा है।
-ये अंतर पंचायतराज और शिक्षा विभाग के शिक्षकों में
दरअसल राज्य में अधिकांश तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्तियां पंचायतराज विभाग से हुई हैं। इनकी पोस्टिंग ग्रामीण क्षेत्रो की प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में होती है। राजस्थान शिक्षा नियम की धारा 6 डी के तहत जो शिक्षक इन ग्रामीण स्कूलों में 3 वर्ष का शिक्षण कार्य पूर्ण कर लेते हैं उन्हें शिक्षा विभाग में लिया जाता है। मुख्यमंत्री की हाल की बजट घोषणा के बाद खुले अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय आठवी तक हैं ऐसे में इनमें भी तृतीय श्रेणी के शिक्षकों को तैनात करना था।
सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों और चयनित शिक्षकों की सूची में नियुक्ति तिथि और इंटरव्यू की तिथि का मिलान करने पर ये स्पष्ट हो रहा है कि आबूरोड महात्मा गांधी विद्यालय में जिन 8 शिक्षकों का चयन किया गया उनमें से आधे से ज्यादा 6-डी के तहत शिक्षा विभाग के न होकर पंचायत राज विभाग के हैं। जबकि जिला स्तर से शिक्षा निदेशालय बीकानेर को भेजी गई सूची में ऐसे पात्र शिक्षक भी शामिल थे जो 6 डी के लिये आवश्यक पात्रता पूर्ण करके शिक्षा विभाग में आ चुके थे।
– की थी 2 टायर चयन प्रक्रिया
राज्य सरकार ने महात्मा गांधी विशिष्ट विद्यालय में बेहतर शिक्षा के लिए शिक्षकों के चयन के लिए 2 टायर शिक्षक चयन प्रक्रिया अपनाई थी। प्रथम चरण में जिला स्तरीय चयन समिति थी। इसे जिले से इस विद्यालय में पढ़ाने के इच्छुक शिक्षकों की वरीयता सूची बनानी थी। इसमे अंग्रेजी भाषा की दक्षता और शिक्षा विभाग के शिक्षकों को शामिल करने समेत अन्य पात्रता को ध्यान में रखते हुए वरीयता सूची बनानी थी।
इस सूची में शामिल शिक्षकों में से राजस्थान शिक्षा निदेशालय बीकानेर को अंतिम चयन करना था और आबूरोड महात्मा गांधी विद्यालय के लिए शिक्षकों की अंतिम सूची भी इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए बीकानेर शिक्षा निदेशालय द्वारा की गई थी।
भले ही ये चयन अस्थाई हो, लेकिन चयन प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी से शिक्षा विभाग में ही इसे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में डेपुटेशन का जरिया बनाने का आरोप लगने लगा है।
-इनका कहना है…
जिला स्तरीय चयन समिति को जिले में विषयों के आधार पर वाक इन इंटरव्यू में आये शिक्षकों के डॉक्यूमेंट की जांच करके वरीयता सूची बनाकर बीकानेर निदेशालय भेजनी थी। अंतिम चयन उनको ही करना था।
-गंगा कलावन्त
जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), सिरोही
वाक इन इंटरव्यू के दौरान मैं इस चयन समिति में शामिल नहीं था। मेरे से पूर्व की अधिकारी इस जिला स्तरीय चयन समिति में थीं।
-अमरसिंह देवल
सीडीईओ, सिरोही।