गांधीनगर। गुजरात के नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के रविवार शाम राजभवन पहुंच कर सरकार बनाने के औपचारिक दावे के दौरान पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की अनुपस्थिति को लेकर इस दिग्गज नेता की नाराज़गी की अटकलें तेज़ हो गई हैं।
पहली बार के विधायक नरेंद्र पटेल के नाम की अचानक घोषणा से पहले जिन नामों को मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था उनमें एक राज्य के सबसे अनुभवी भाजपा नेता तथा आधा दर्जन से अधिक बार विधायक और मंत्री रह चुके नितिन पटेल का नाम शामिल था।
विधायक दल की बैठक से पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा भी था कि मुख्यमंत्री एक अनुभवी विधायक को होना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि भूपेन्द्र पटेल के नाम की घोषणा के बाद ही वह अपने गृह नगर महेसाणा रवाना हो गए। आम तौर पर मीडिया से ख़ूब बात करने वाले पटेल ने पत्रकारों से बात भी नहीं की।
इससे पहले वर्ष 2017 में जब उन्हें वित मंत्रालय का प्रभार नहीं दिया गया था तो उन्होंने लगभग खुले बग़ावती तेवर अपना लिए थे। पार्टी आलाकमान को उनके सामने झुकना पड़ा था।
भूपेन्द्र पटेल सोमवार को राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। अब देखना ये होगा कि नितिन पटेल इसमें शामिल होते हैं या नहीं। बताया जा रहा है कि उन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल पद का प्रस्ताव दिया गया है।
राजनीति के माहिर नितिन पटेल सक्रिय राजनीति में बने रहना चाहते हैं। बताया जाता है कि उनके पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से भी अच्छे सम्बंध नहीं थे। रूपाणी जहां अमित शाह के पसंदीदा थे वही नितिन पटेल गुजरात की राजनीति में शाह का विरोधी खेमा मानी जाने वाली आनंदीबेन पटेल के नज़दीकी माने जाते हैं। राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनज़र भाजपा पटेल की नाराज़गी की पूरी तरह अनदेखी नहीं कर सकती।