सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही नगर परिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा क्या अब सिरोही विधायक का दुर्भाग्य बन गए हैं? क्या उन्हें अब महसूस होने लगा है कि उनके द्वारा सिरोही के लोगों से नगर परिषद स्तर पर विकास और सुधार के किये गए वायदों को लागू नहीं कर पाने में सिरोही सभापति की लापरवाह कार्यप्रणाली दोषी हैं?
<span;>इन्दिरा गांधी शहरी रोजगार योजना के उदघाटन समारोह के दौरान सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के बयान तो यही प्रदर्शित कर रहा है। लोढ़ा ने यहाँ अपने भाषण में कहा कि सभापति से उन्होंने कहा है कि सिरोही शहर में बच्चों के लिए पार्क बनाने और वहां पर शिवगंज की तर्ज पर ऐसा गार्डन विकसित करें जिससे बच्चों को मनोरजंन का स्थान मिल सके। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने सिरोही सभापति से ये कई बार कहा है कि वो इसपर ध्यान दें और जरूरत हो तो विधायक मद से उनसे राशि जारी करवा लेवें। उन्होंने आगे कहा कि लेकिन, ये उनका दुर्भाग्य है कि सभापति ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
वैसे सूत्रों के अनुसार विधायक संयम लोढ़ा पहले भी कई बार सिरोही सभापति को उनके मद से पैसे लेकर बच्चों के लिए बेहतर मनोरजंन स्थल विकसित करने का सिरोही सभापति को कह चुके हैं। लेकिन, अब तक ये अनुरोध बन्द कमरों में और कार्यकर्ताओं की औपचारिक बैठक तक सीमित था। लोढ़ा ने सार्वजनिक मंच से पहली बार अपनी इस व्यथा उजागर की है।
-तीनो स्तर पर फेल रहा कांग्रेस बोर्ड
सिरोही नगर परिषद के कांग्रेस बोर्ड में शहर में सबसे ज्यादा बदहाली सफाई व्यवस्था की है। न गली मोहल्लों में समय पर सफाई होती है न ही समय पर मुख्य डंपिंग स्थलों से कचरा उठता है। रोडवेज बसों के मुख्य आवाजाही के मार्ग पर कांग्रेस बोर्ड में कचरों के ढ़ेर वाले डर्टी सिरोही का सन्देश यात्रियों के माध्यम से अन्य शहरों में पहुंच रहा है और गंदे सिरोही का नाम रोशन हो रहा है।
सौंदर्यीकरण के मामले में भी कांग्रेस बोर्ड फेल रहा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पैलेस रोड है। यहाँ पर डिवाइडर (मीडियन) बना दिये गए। ये काम भी काफी लटक लटक कर हुआ। इन मिडियनों के बीच में पौधों के लिये स्थान छोड़े गए हैं। बारिश बीत गई लेकिन, इन मीडियन पर पौधे नहीं लगे। ऐसे में ये खूबसूरती से ज्यादा दाग की तरह लग रहे हैं।
तीसरा काम शहर के जोनल प्लान बनकर भवन निर्माण अनुमति देने को लेकर है। लंबा अरसा बीत गया लेकिन, महेंद्र मेवाड़ा के नेतृत्व में बोर्ड शहर के एस-2 जॉन के निर्धारण और उसके अनुसार भू उपयोग परिवर्तन करके नगर परिषद की आर्थिक स्थिति नहीं सुधार पाया है। इनके अलावा भी बहुत से मुद्दे हैं जिनपर ये बोर्ड पूर्णतः विफल रहा है। हर मुद्दे पर समाचारों की कई श्रंखला बन सकती हैं।
– नम्बर दो के भी यही हाल
सभापति तो सभापति उप सभापति भी अद्भुत मिले हैं सिरोही बोर्ड को। इनका फोटो खिंचवाने को लेकर जितना सँघर्ष रहता है उतना ये नगर परिषद में दी गई जवाबदेही को निभाने को लेकर दिखा देते तो विधायक लोढ़ा की एक टेंशन कम रहती। उप सभापति जीतेंद्र सिंघी को मीडिया के कैमरों को फ्रेम में फिट होने का शौक अनूठा है। शुक्रवार को प्रभारी मंत्री महेंद्र चौधरी के इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के उद्घाटन के दौरान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर झट से उनके दाहिने कंधे पर चिपक गए।
उनकी अधीरता ये दर्शा रही थी कि यदि थोड़ा बहुत शिष्टाचार का ख्याल नहीं होता तो वो अपनी गर्दन को अक्षय कुमार के ‘बाला ओ बाला’ गीत पर नृत्य के दौरान के स्टेप की तरह मंत्री के दाहिने कंधे पर रख देते ताकि कोई प्रेस फ़ोटो ग्राफर चाहकर भी उनके चेहरे को क्रॉप नहीं कर पाए। सिंघी इतनी जल्दी चौधरी के कंधों से चिपक गए कि जिला कलेक्टर ने भी भी पीछे रहने में ही भलाई समझी। यूँ लग रहा था कि जिला कलेक्टर की जगह ये ही मंत्री से चर्चा करके पूरे जिले की समस्या निस्तारित कर देंगे।
इसके विपरीत उन्हें नगर पालिका में सम्भलाई गई जिम्मेदारी की तस्वीर खींचकर मीडिया प्रकाशित की जाए तो उनकी अकर्मण्यता का सन्देश जनता में स्पष्ट जाएगा। जितेंद्र सिंघी नगर परिषद की सफाई समिति के अध्यक्ष हैं और हर महीने ₹ 20 लाख खर्चने के बाद भी सफाई ही शहर में सबसे ज्यादा बदहाल है।