अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में जून 2004 में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारी गई मुंबई की 19 वर्षीय छात्रा इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने सीबीआई को एक पत्र लिख कर कहा है कि वह इस मामले की लंबी सुनवाई से हताश और असहाय महसूस कर रहीं है और आगे से इस मामले में अदालत में पेश नहीं होंगी।
कौसर ने पत्र में लिखा है कि अदालत से सभी आरोपी जमानत पर छूट चुके हैं और इनमें से कुछ को तो गुजरात सरकार ने वापस नौकरी तक पर रख लिया था। 15 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब वह हताश और असहाय महसूस कर रही हैं। अब वह अदालत में पेश नहीं होंगी और उनके पत्र को ही अदालत के रिकार्ड में शामिल कर लिया जाए।
ज्ञातव्य है कि इस मामले में अब अदालत चार आरोपी पूर्व पुलिस अधिकारियों की आरोप मुक्ति अर्जी पर सुनवाई कर रही है। इससे पहले इस साल मई मेंं आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा और पूर्व पुलिस अधिकारी एनके अमीन को आरोपमुक्त किया गया था क्योंकि सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया था।
उससे पहले एक अन्य आरोपी पुलिस अधिकारी पीपी पांडेय को भी आरोप मुक्त कर दिया गया था। अब चार अन्य आरोपी जीएल सिंघल, तरूण बारोट, केजी परमार और ए चौधरी ने आरोप मुक्ति के लिए अर्जी दे रखी है।
पुलिस ने कहा था कि इशरत और उसके साथ मारे गए तीन अन्य असल में लश्करे तैयबा से जुड़े थे और यहां तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की नीयत से आए थे। बाद में सीबीआई ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।