अजमेर। मुस्लिम संप्रदाय में इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नए हिजरी सन 1441 का आगाज अंग्रेजी तारीख आगामी एक सितंबर से शुरू होगा। इस इस्लामी नए साल का आगाज पर मोहर्रम की पहली तारीख भी होगी।
इस्लाम के प्रवर्तक पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाया जाने वाला मोहर्रम पर्व एक सितंबर से शुरू होगा। उसके साथ ही राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज के दरगाह क्षेत्र में ताजियों और सवारियों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा।
इमामबाड़ों में मजलिसों का दौर भी शुरू होगा। नए संवत की पहली तारीख से शुरू हुआ यह दौर चांद की दस तारीख जो कि अंग्रेजी तारीख भी दस पड़ रही है, पर ताजिया की सवारी निकाली जाएगी। इस दौरान मोहर्रम का यौमे अशूरा पर परंपरागत तरीके से जुलूस भी निकाला जाएगा।
इस्लामी नया साल कुर्बानी से प्रारंभ होता है और कुर्बानी पर ही खत्म होता है। इसका उद्देश्य त्याग, समर्पण और सत्य मार्ग का अनुसरण तथा आपसी प्रेम व भाईचारे के साथ सेवा भाव स्थापित करना है। इस्लामिक नए साल पर अजमेर शरीफ स्थित दरगाह में मुल्क के लिए अमन शांति, एकता, भाईचारे व खुशहाली के लिए भी दुआ की जाएगी।
मोहर्रम नए हिजरी संवत का प्रथम माह है इसलिए अजमेर शरीफ में खादिम समुदाय परंपरागत तरीके से हरे लिबास में नजर आएगा और गमगीन रहेगा। इस दौरान दरगाह शरीफ में कव्वालियों का दौर भी थम जाएगा।
अंजुमन की ओर से चांदी का ताजिया तैयार कर उसकी सवारी निकाली जाएगी तो अंदरकोट स्थित इमामबाड़े में नंगी तलवारों से हाईदोस खेलने की परंपरा भी निभाई जाएगी जिसके लिए पुलिस के मालखाने से नियमानुसार तलवारें भी जारी की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि मोहर्रम के दौरान हाईदोस भारत में अकेले अजमेर शरीफ में खेला जाता है तो दूसरी ओर पाकिस्तान में भी इसके खेले जाने की परंपरा है।