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जेएनयू में 'इस्लामिक आतंकवाद' कोर्स का विरोध : माकपा
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जेएनयू में ‘इस्लामिक आतंकवाद’ कोर्स का विरोध : माकपा

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जेएनयू में ‘इस्लामिक आतंकवाद’ कोर्स का विरोध : माकपा
'Islamic terrorism' course in JNU
'Islamic terrorism' course in JNU
‘Islamic terrorism’ course in JNU

नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘इस्लामिक आतंकवाद’ पाठ्यक्रम शुरू किए जाने के प्रस्ताव को वापस लेने की सरकार से मांग की है।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने पत्रकारों को बताया कि पार्टी की पोलित ब्यूरो की बैठक में जेएनयू में विरोध के बावजूद एकेडमिक काैंसिल में ‘इस्लामिक आतंकवाद’ का पाठ्यक्रम शुरू किए जाने के प्रस्ताव को पारित किए जाने का कड़ा विरोध किया गया है और उस पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार उच्च शिक्षा का लगातार ‘सांप्रदायीकरण’ करने के साथ ही उच्च शिक्षण एवं शोध संस्थानों पर हमले कर रही है।

भारतीय इतिहास को हिंदू धर्मशास्त्र के रूप में पढ़ाने का काम कर उसका भगवाकरण कर रही है और अब वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों का ‘सांप्रदायीकरण’ करने के प्रयास में लगी है और इसीलिए उसने ‘इस्लामिक आतंकवाद’ का कोर्स शुरू करने का फैसला किया है। इससे देश की एकता और अखंडता को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय संसद के कानून से स्थापित किया जाता है और संसद ने भी आतंकवाद की भर्त्सना करते हुए प्रस्ताव पारित किए, उसमें किसी धर्म और जाति का उल्लेख नहीं किया गया है तो जेएनयू में ‘इस्लामिक आतंकवाद’ की पढ़ाई क्यों शुरू की जा रही है।

अगर आतंकवाद के अध्ययन के बारे में कोई पाठ्यक्रम शुरू करना है तो धार्मिक कट्टरतावाद का पाठ्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए, न कि किसी एक धर्म को निशाना बनाना चाहिए। पोलित ब्यूरो इस प्रस्ताव को वापस लेने की सरकार से मांग करता है।

जम्मू कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी पोलित ब्यूरो ने रमजान में संघर्ष विराम सशर्त लागू किए जाने के साथ सभी संबद्ध पक्षों के साथ राजनीतिक वार्ता के जरिए राजनीतिक प्रक्रिया को शुरू करने और लोगों में आत्मविश्वास बढ़ाने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि यह संघर्ष विराम नियंत्रण रेखा पर भी होनी चाहिए और इसके लिए केंद्र सरकार को पाकिस्तान सरकार से बात कर सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के मामले को सुलझाने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के द्वारा लिए गए निर्णयों को आज तक लागू नहीं किया गया।