जयपुर। राजस्थान विधानसभा में आज निजी स्कूलों के फीस वसूलने में उच्चत्तम न्यायालय के आदेशों की अवेहलना का मुद्दा उठा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक कालीचरण सर्राफ ने शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव के तहत यह मामला उठाया। सर्राफ ने कहा कि वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण निजी स्कूलों में नियमित पढ़ाई नहीं हो पाई। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। कोरोना में मध्यम वर्ग, छोटे व्यापारी सहित लोगों के साथ आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ। इस कारण अभिभावक स्कूलों में फीस जमा कराने में असमर्थ रहे।
उन्होंने कहा कि उच्चत्तम न्यायालय ने आदेश दिया है कि छह किश्तों में फीस वसूली जा सकती हैं। फीस भरने में असमर्थ अभिभावकों को राहत भी दी जानी चाहिए। फीस नहीं दे सकने वालों को पढ़ाई और परीक्षा से वंचित भी नहीं करे। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद निजी स्कूल न्यायालय के आदेश की मनमानी व्याख्या करके अभिभावकों को परेशान कर रहे हैं। निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को टेलीफोन करके एवं अपने स्टाफ को उनके घरों पर भेजकर दबाव डाला जा रहा है। इस बात की शिकायत भी गई हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में करीब सत्तर लाख अभिभावक परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार इसमें हस्तक्षेप करे और अभिभावकों को राहत देने के लिए जरूरत पड़ने पर कानून लाया जाये। उन्होंने सरकार से मांग की कि इसमें राहत दिलाई जाये।