नई दिल्ली। सरकार ने आधार का दुरुपयोग रोकने तथा लोगों की निजता बरकरार रखने के कड़े प्रावधान वाला आधार संशोधन विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया।
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रश्नकाल के बाद आधार एवं अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया। यह विधेयक आधार एवं एवं अन्य विधियां (संशोधन) अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गत दो मार्च को संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दी थी।
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने संशोधन विधेयक का पुरजोर विरोध किया। श्री प्रेमचंद्रन ने कहा कि संशोधन विधेयक उच्चतम न्यायालय के 26 सितम्बर 2018 के फैसले की आत्मा के अनुरूप नहीं है।
सोलहवीं लोकसभा ने गत चार जनवरी को इससे संबंधित विधेयक पारित कर दिया था, लेकिन विधेयक राज्य सभा में पेश नहीं किया जा सका था। इसलिए सरकार को गत 28 फरवरी को अध्यादेश लाना पड़ा था, जिसे राष्ट्रपति ने दो मार्च को मंजूरी दी थी।
संशोधन विधेयक में आधार के दुरूपयोग को रोकने तथा लोगों की निजता को बनाये रखने के लिए कड़े प्रावधान किये गये हैं। अब किसी व्यक्ति की पहचान के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जायेगा।
उच्चतम न्यायालय ने गत वर्ष अपने फैसले में आधार कानून के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया था ताकि लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जा सके और उनकी निजता को बरकरार रखा जा सके। यह विधेयक इसी के मद्देनजर लाया गया है।