जबलपुर। मध्यप्रदेश के डिण्डोरी जिले में 10 साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने वाले दोनों आरोपियों की फांसी की सजा को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है।
न्यायाधीश एसके सेठ और न्यायाधीश नंदिता दुबे ने अपने आज फैसले में कहा कि आरोपियों ने दुष्कृत्य करने के बाद मासूम बच्ची का गला दबाकर उसकी हत्या कर लाश को फेंक दिया।
आरोपियों ने वीभत्स तरीके से मामूम की हत्या की है। देश में मासूम बच्चियों के साथ दुराचार की घटना से जनाक्रोश भड़क रहा है। जिला न्यायालय द्वारा आरोपी को दी गई फांसी की सजा उचित है और आरोपी इसी सजा के हकदार हैं।
अभियोजन के अनुसार 14 अप्रैल 2017 को डिण्डोरी जिले के गुझियारी गांव में पीड़ित बच्ची अपने माता-पिता के साथ एक चौक समारोह में गई थी। रात्रि करीब 11 बजे बच्ची अचानक गायब हो गई। पीड़ित परिवार ने रात भर बच्ची की खोज की।
अगले दिन सुबह पांच बजे बच्ची की लाश बुरी हालत में एक खेत में पाई गई। जांच के बाद पुलिस को पता चला कि आरोपी भगवानी मरकाम और सतीश धूमकेती बच्ची को लालच देकर अपने साथ ले गए थे और फिर नशे की हालत में उसके साथ दुराचार किया था। राज खुलने के डर से आरोपियों ने बच्ची का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी।
डिण्डोरी की जिला सत्र न्यायालय ने 3 नवम्बर 2017 को दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। साथ ही सजा की पुष्टि के लिए यह मामला उच्च न्यायालय को भेजा था। आरोपियों की तरफ से भी सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की गई थी।
युगलपीठ ने 26 अप्रैल को सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिखा था। युगलपीठ ने आज सार्वजनिक किए गए फैसले में आरोपियों की फांसी की सजा पर अपनी मुहर लगा दी।