चंडीगढ़ । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (राजग) सरकार की केंद्र में शुरू हो रही दूसरी पारी में जगत प्रकाश नड्डा जैसे कद्दावर नेता की गैर मौजूदगी तथा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को गृह मंत्रालय की कमान सौंपे जाने के बाद अब पार्टी नेतृत्व की कमान किसे सौंपी जानी इसे लेकर अनेक कयास लगने शुरू हो गये हैं।
हालांकि मोदी-टू में सुषमा स्वराज और अरूण जेटली सरीखे दिग्गज नेता भी नदारद हैं लेकिन इसके पीछे इनके स्वास्थय की स्थिति मंत्रिमंडल में गैर मौजूदगी का कारण हो सकता है। नड्डा पिछली मोदी सरकार में स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्री थे। हाल के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की जिम्मेदारी सौंपी थी। वैसे भी यह माना जाता है कि केंद्र की सत्ता में पहुंचने का रास्ता उत्तर प्रदे्श से ही होकर जाता है। यानि जो पार्टी उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन करती है उसके केंद्र में सरकार बनाने की सम्भावनाएं अधिक रहती हैं।
उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटाें में से भाजपा को 62 और इसकी सहयोगी पार्टी अपना दल दो, बहुजन समाज पार्टी और समाज पार्टी(सपा) गठबंधन को 15 तथा कांग्रेस को केवल एक ही सीट से संतोष करना पड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, सपा अध्यक्ष की पत्नी डिंपल यादव सरीखे अनेक दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेठी में स्मृति ईरानी ने बड़ी जीत दर्ज की। माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप ही रहा है और इसका श्रेय नड्डा के प्रभावी चुनाव प्रबंधन को जाता है।
हालांकि भाजपा अध्यक्ष पद के लिये पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव का भी नाम सामने आ रहा है। बिहार सहित अन्य राज्यों में उनकी संगठनात्मक पकड़ और रणनीति की बदौलत पार्टी का जनाधार बढ़ा है। लेकिन अनुभव और संगठन के कामकाज की बारीकियों की समझ में नड्डा की क्षमताओं पर कोई सवाल उठाना मुश्किल लगता है और उनकी भाजपा अध्यक्ष पद के लिये दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है। वह इस दाैड़ में फिलहाल आगे भी दिख रहे हैं। वैसे भी भाजपा में एक व्यक्ति-एक पद का सिद्धांत है और शाह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से अब पार्टी नेतृत्व किसी अन्य को सौंपा जाना तय है।