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jain muni tarun sagar maharaj passes away in delhi at the age of 51-जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का देवलोक गमन - Sabguru News
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जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का देवलोक गमन

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जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का देवलोक गमन
jain muni tarun sagar maharaj passes away in delhi at the age of 51
jain muni tarun sagar maharaj passes away in delhi at the age of 51
jain muni tarun sagar maharaj passes away in delhi at the age of 51

नई दिल्ली। जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का शनिवार सुबह निधन हो गया। गुरुवार को ही स्वास्थ्य समस्या की शिकायत के बाद से उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था। जानकारी के मुताबिक 20 दिन पहले मुनिश्री को पीलिया हुआ था। उपचार के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था। इसके बाद ही उन्होंने इलाज बंद करा दिया था और चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था।

बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे जैन मुनि तरुण सागर का 51 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। मुनि के देवलोक गमन का समाचार फैलते ही देशभर से श्रद्धालु उनके प्रवास स्थल पर जुटने लगे हैं।

उनके अनुयायियों की संख्या देश-विदेश में काफी ज्यादा है। उन्हें जिस कमरे में रखा गया था, वहां पर सिर्फ जैन मुनियों और शिष्यों के अलावा किसी और को जाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। तरुण सागर जी महाराज इस समय दिल्ली में चातुर्मास स्थल पर थे।

दो दिन पहले गुरुवार की सुबह उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। जिसके बाद उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया था। वहां शाम डॉक्टरों की निगरानी में उनकी सेहत में थोड़ा सुधार हुआ था। उस शाम भी कई संत उनसे मुलाकात को पहुंचे थे।

दिगंबर जैन महासभा के अध्यक्ष निर्मल सेठी ने बताया कि पुष्पदंत सागर महाराज जो उनके गुरु बताए जाते हैं उन्होंने मुनिश्री की तबीयत खराब होने के संबंध में एक वीडियो मैसेज जारी किया था। वीडियो मैसेज के जरिए उन्होंने महाराज का समाधि महोत्सव मनाने की अपील की है।

प्रधानमंत्री ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जैन मुनि के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि जैन मुनि तरुण सागर के निधन का समाचार सुन गहरा दुख पहुंचा। हम उन्हें हमेशा उनके प्रवचनों और समाज के प्रति उनके योगदान के लिए याद करेंगे। मेरी संवेदनाएं जैन समुदाय और उनके अनगिनत शिष्यों के साथ है।

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि जैन मुनि श्रद्धेय तरुण सागर जी महाराज के असामयिक महासमाधि लेने के समाचार से मैं स्तब्ध हूं। वे प्रेरणा के स्रोत, दया के सागर एवं करुणा के आगार थे। भारतीय संत समाज के लिए उनका निर्वाण एक शून्य का निर्माण कर गया है। मैं मुनि महाराज के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

मुनि श्री तरुण सागर जी महाराज का संक्षिप्त परिचय

जन्म: 26 जून, 1967 को
जन्म नाम: पवनकुमार जैन
जन्म स्थान:: दमोह जिले (म.प्र.) के गुहंची गांव में
माता का नाम: शांतिबाई जैन
पिता का नाम: प्रतापचंद्र जैन
क्षुल्लक दीक्षा : 18 जनवरी, 1982
क्षुल्लक दीक्षा स्थान अकलतरा (मप्र)
क्षुल्लक दीक्षा गुरू: परम पूज्य वात्सल्य दिवाकर आचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर महाराज।
मुनि दीक्षा 20 जुलाई, 1988
मुनि दीक्षा स्थान बागीदौरा (राजस्थान)
मुनि दीक्षा गुरू: परम पूज्य वात्सल्य दिवाकर आचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर महाराज।

विशेष :

13 वर्ष की उम्र में संन्यास, 20 वर्ष में दिगम्बर मुनि दीक्षा।
33 वर्ष में लाल किले से राष्ट्र को संबोधन।
35 वर्ष में ‘राष्ट्रसंत’ की पदवी से नवाजे गए।
37 वर्ष में ‘गुरु मंत्र दीक्षा’ देने की नई परंपरा की शुरुआत।
ग्रन्थ लेखन : 3 दर्जन से अधिक पुस्तके उपलब्ध और उनकी अब तक 10 लाख से अधिक प्रतियॉं बिक चुकी है।

कीर्तिमान :

आचार्य कुन्दकुन्द के पश्चात् गत दो हजार वर्षों के इतिहास में मात्र 13 वर्ष की उम्र में जैन संन्यास धारण करनेवाले प्रथम योगी
राष्ट्र के प्रथम मुनि जिन्होंने लाल किले (दिल्ली) से संबोधा
जी. टीवी के माध्यम से भारत सहित 122 देशों में ‘ महावीर वाणी’ के विश्वव्यापी प्रसारण की ऐतिहासिक शुरुवात करने का प्रथम श्रेय।
भारतीय सेना को संबोधित करने वाले देश के पहले संत।
आजादी के बाद प्रथम बार राजभवन (बैंगलोर)में अतिविशिष्ट लोगों को सम्बोधन एवं आहारचर्या।