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jaipur man arrested for theft lord statue from sikar-आईपीएल में सट्टेबाजी से बर्बाद हुआ व्यवसायी मूर्ति चोरी के आरोप में अरेस्ट - Sabguru News
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आईपीएल में सट्टेबाजी से बर्बाद हुआ व्यवसायी मूर्ति चोरी के आरोप में अरेस्ट

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आईपीएल में सट्टेबाजी से बर्बाद हुआ व्यवसायी मूर्ति चोरी के आरोप में अरेस्ट

सीकर। जयपुर के एक कपड़े के शोरूम व्यवसायी को आईपीएल में सट्टेबाजी की ऐसी लत लगी कि उसका सबकुछ सट्टेबाजी की भेंट चढ़ गया, परेशान होकर उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर चली। हालात ने उसे चोर बनाकर उसे हवालात पहुंचा दिया।

सीकर के पुलिस अधीक्षक डॉ अमनदीप सिंह कपूर ने आज बताया कि श्रीमाधोपुर में 11 अप्रेल की दोपहर मे चौपड़ बाजार स्थित शिवमन्दिर से अज्ञात चोर 256 वर्ष पुरानी अष्टधातु की करोड़ों रुपये की मूर्ति चुरा ले गए थे। इस पर मामला दर्ज करके मूर्ति तलाश प्रारम्भ की गई।

यह मामला धार्मिक आस्था से जुड़ा होने से मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक सीकर डॉ. अमनदीप कपूर ने इसकी गहन जांच कराई। घटना के तुरन्त बाद पुलिस ने बाजार में घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेजों को खंगाला। सीसीटीवी फुटेज मे एक संदिग्ध व्यक्ति की सरगर्मी से तलाश के लिये वाटसएप ग्रुप में भी क्लिप भेजी गई।

उनके यह प्रयास रंग लाए और कल सीसीटीवी फुटेज के हुलिये का संदिग्ध व्यक्ति भैरुजी मोड़ पर दिखाई दिया। इस पर थानाधिकारी लालसिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए और संदिग्ध हुलिए के व्यक्ति को दबोंचकर उससे चोरी गई मूर्ति बरामद कर ली।

शिव परिवार की माता पार्वती देवी की बरामद यह प्रतिमा 13 किलो 760 ग्राम वजन की अष्टधातु की बनी है और 256 वर्ष पुरानी और श्रीमाधोपुर के स्थापना के समय की है। इस मूर्ति से कस्बा श्रीमाधोपुर के लोगों की आस्था जुड़ी है। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में इस मूर्ति की कीमत एक करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है।

डा कपूर ने बताया कि पकड़े गए व्यक्ति की पहचान जयपुर में प्लाट नम्बर आठ, सरपंच वाटिका, गोल्याकाबास मानसरोवर के रामलखन महाजन (40) के रूप में हुई। पूछताछ में रामलखन ने बताया कि उसका वर्ष 2008 से पहले जयपुर में कपड़े का शोरूम था। वर्ष 2010 में उसे आईपीएल क्रिकेट मैच में सट्टे का चस्का लग गया और करीब 40 लाख रूपए सट्टे में हार जाने के बाद उसपर कर्जा हो गया।

यह कर्जा चुकाने के लिए उसे अपना शोरूम बेचना पड़ा। इससे खफा होकर उसकी अध्यापिका पत्नी भी बच्चों को लेकर अलग रहने लगी। गुजारे के लिए वह कबाड़ी का काम करने लगा। इसी दौरान उसे पता चला कि अष्टधातु काफी महंगी होती है। इसी वजह से उसने श्रीमाधोपुर से यह मूर्ति चोरी करने की योजना बनाकर इस घटना को अन्जाम दिया।