नयी दिल्ली । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को स्वीकार किया कि हाल में हुए लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत में बीते पांच साल में बनी भारतीय विदेश नीति की अहम भूमिका रही है और मतदाता इस बारे में सोचने लगे हैं।
डाॅ. जयशंकर ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि देश की जनता अब विश्व व्यवस्था में भारत के स्थान को लेकर चिंता करने लगी है और वोट डालते समय इस तथ्य को भी ध्यान में रखकर निर्णय ले रही है। अधिकतर लोगों का मानना है कि विश्व में भारत का स्थान बीते पांच साल में सशक्त हुआ है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग इसकी परवाह करने लगे हैं। वे महसूस कर रहे हैं कि भारत विकास के पथ पर अग्रसर है और दुनिया उसका सम्मान करती है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री श्री मोदी की जीत में विदेश नीति की विशेष रूप से आर्थिक विदेश नीति की अहम भूमिका रही है। मतदाताओं के शासकों पर भरोसे की वजह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से निपटने का तरीका था जो सीधे विदेश नीति से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत की भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत होने से भारतीय उद्योग एवं व्यापार जगत को लाभ भी हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा बाह्योन्मुख हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में निष्पक्ष पहुंच हुई है और सौदे के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनाव का एक ही संदेश है कि लोग आप पर इसीलिए भरोसा करते हैं क्योंकि आप देश की सुरक्षा के लिए यथासंभव करते हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के नये कार्यकाल में पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाना शीर्ष प्राथमिकता रहेगी। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में कनेक्टिविटी की लंबे अरसे तक अनदेखी हुई है और उसके कारण भी है लेकिन अब क्षेत्र के सभी देश कनेक्टिविटी के महत्व को समझने लगे हैं और चीज़ें 20 साल में बहुत बदल गयीं हैं। इस संबंध में मुख्य जिम्मेदारी भारत की है क्योंकि दक्षिण एशिया में भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
डॉ. जयशंकर ने स्वीकार किया कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) देशों के साथ कुछ समस्याएं हैं। अगर आतंकवाद के मुद्दे को अलग कर दिया जाए तो भी व्यापार एवं कनेक्टिविटी के तमाम मुद्दे लंबित हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में पड़ोसी देशों के बीच सहयाेग को पुरस्कृत करने की जरूरत है।