नई दिल्ली/जयपुर/जोधपुर। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान स्वच्छ गंगा मिशन में व्यापक सुधार हुआ है। चौथे भारत जल प्रभाव सम्मेलन में उन्होंने कहा कि हाल में 10 अक्टूबर 2019 को देव प्रयाग से विशाल नदी राफ्टिंग अभियान ‘गंगा अमांतरण अभियान’ लॉच किया गया। यह अभियान 34 दिन चला और इसमें गंगा की 2500 किलोमीटर की लम्बाई कवर की गई। अभियान पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक चला।
उन्होंने कहा कि गंगा जल की गुणवत्ता में पिछले पांच वर्षों में काफी सुधार हुआ है। जल की गुणवत्ता में सुधार का सबसे अच्छा मानक जलीय जीवजंतु का जीवन है। पांच साल पहले केवल दस गांगेय डॉल्फिन देखे गए थे, लेकिन इस बार 2000 से अधिक डाल्फिन दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि बहते हुए कचरों में भी कमी देखी गई है।
शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वच्छ गंगा कोष (सीजीएफ) बनाने की स्वीकृति दी है। कोष में उदारतापूर्वक दान देने की अपील करते हुए शेखावत ने कहा कि सीजीएफ का उद्देश्य गंगा नदी की स्वच्छता में सुधार के राष्ट्रीय प्रयास में योगदान करना है। देश के निवासी और अनिवासी दोनों से अंशदान प्राप्त किया जाएगा। यह कोष नियोजन, धन पोषण तथा मूल्यांकन का आधार बनाने के लिए विशेष उद्देश्यों को परिभाषित करेगा।
जल शक्ति मंत्री ने कहा कि अविरल धारा सुनिश्चित करने के लिए नमामि गंगे का दृष्टिकोण व्यापक है। इसमें पर्यावरण प्रवाह का मूल्यांकन और उसकी अधिसूचना, बांध क्षेत्र, वनरोपण, संरक्षण तथा दलदली जमीन का कायाकल्प और जल उपयोग सक्षमता में सुधार विशेषकर कृषि क्षेत्र सुधार शामिल हैं। कृषि में जल की खपत सबसे अधिक होती है। विश्व में हमारे जल को कम उत्पादक जल माना जाता है।
शेखावत ने कहा कि सरकार ने नमामि गंगे मिशन को गंगा और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए एकीकृत मिशन के रूप में लांच किया। इसमें व्यापक बेसिन आधारित दृष्टिकोण को अपनाया गया है।
शेखावत ने सी-गंगा (गंगा नदी बेसिन प्रबंधन तथा अध्ययन केन्द्र) के साथ टेक्नालॉजी सहयोग समझौते के लिए आईआईटी, एनआईटी, एनईईआरआई, यूरोपीयन यूनियन, जर्मनी, डेनमॉर्क, इस्रायल, जापान तथा कनाडा की भूमिका की सराहना की।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने 9 अक्टूबर, 2018 को गंगा नदी में उत्तर प्रदेश के उन्नाव से न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह को बनाए रखने की अधिसूचना जारी की। उन्होंने बताया कि शहरी नदी प्रबंधन परियोजना विकसित करने के लिए एनआईयूए के साथ पायलट परियोजना शुरू की गई है।
कार्यक्रम में जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग के सचिव यूपी सिंह ने कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) स्वच्छ भारत मिशन की तरह पांच वर्ष की अवधि में 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।
शेखावत ने 22 अगस्त, 2019 को आयोजित एम्बेसडरों की बैठक, नदी पुनर्स्थापन तथा संरक्षण पर रिपोर्ट और सी-गंगा हब पर निर्देशिका और दस्तावेज जारी किए। कार्यक्रम में स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र, सी-गंगा के प्रमुख प्रोफेसर विनोद तारे, एनएमसीजी के उपमहानिदेशक शिशिर कुमार राठो और भाग लेने वाले देशों के राजदूत तथा उच्चायुक्त उपस्थित थे।