नई दिल्ली। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत सरकार अपने हर उद्देश्य में जनभागीदारी को मुख्य मानती है और सातवें इंडिया वॉटर इंपैक्ट समिट में भी 5पी (पीपुल, पॉलिसी, प्लान, प्रोग्राम और प्रोजेक्ट) के आधार पर रायशुमारी होगी। शेखावत ने कहा कि यह समिट बड़ी नदी घाटियों में छोटी नदियों के संरक्षण पर केंद्रित है। छोटी-छोटी नदियों को पुनर्जीवित करना सबसे बड़ी आवश्यकता है।
गुरुवार को समिट का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि सात अंक का हमारी संस्कृति में बहुत महत्व है। संगीत के सात सुर, इंद्रधनुष के सात रंग, आकाश में सप्तऋषि, विवाह के सात वचन हमारी संस्कृति में सात अंक पूर्णता और परिपक्वता का प्रतीक हैं। उम्मीद है कि सातवां सोपान पार करने के बाद इंडिया वॉटर इंपैक्ट समिट वैश्विक पटल पर जल क्षेत्र में बड़े वैचारिक और नीतिगत हस्तक्षेप के रूप में जाना और सराहा जाएगा।
शेखावत ने कहा कि भारत गंगा और गीता का देश है। प्रकृति के प्रति लोक श्रद्धा हमारे जीवन मूल्यों और संस्कारों में नजर आती है। सहस्रों वर्ष प्राचीन सनातन भारतीय संस्कृति में नदियों को मां कहकर पूजने की परंपरा रही है। नदियां हमारी धरोहर हैं, हमारी पहचान हैं, हमारी सांस्कृतिक अस्मिता और बोध की प्रतीक हैं। हमारे तमाम मूल्यों, परंपराओं और मान्यताओं का साक्षात प्रतिरूप हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में नदियों के प्रति मान-सम्मान का यह भाव अकारण नहीं है। हमारे हृदय में अपनी नदियों के प्रति आस्था का सागर यूं ही हिलोरें नहीं मारता। इसकी पुख्ता वजह है। नदियां देश की संस्कृति और सामाजिक विविधता के बीच एकता और अखंडता का सूत्र हैं। वस्तुत: नदियों का अस्तित्व, हमारे अपने अस्तित्व से जुड़ा हुआ है। नदियां जीवित हैं, तभी सृष्टि में जीवंतता है, संवेदना की सजलता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह देश में सरकारों की योजनागत समझ और प्रतिबद्धता में दिखी कमजोरी ही रही कि आस्था से लेकर अर्थव्यवस्था तक के लिए महत्वपूर्ण गंगा जैसी नदी की उपेक्षा होती रही। इस मामले में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी जी का वाराणसी से चुनाव लड़ना और फिर उनका प्रधानमंत्री बनना एक युगांतकारी घटनाक्रम है। वाराणसी से निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा था, ‘मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है।’ आज प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में हमारी सरकार जल और स्वच्छता से जुड़े दुनिया के सबसे विस्तृत कार्यक्रम को सफलता के ऐतिहासिक मील स्तंभ तक पहुंचा रही है।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती जो आज हमारे सामने है, वह वॉटर सिक्योरिटी (जल सुरक्षा) की है। इन छोटी-छोटी नदियों को पुनर्जीवित करना सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अगले 3 दिन इस समिट जो हम चर्चा करेंगे, विचार करेंगे और उस विचार को यदि हम धरातल पर उतार पाते हैं तो निश्चित उस दिशा में हमारा एक बहुत बड़ा योगदान होगा। इस समाधान संदेश से देश को आत्मनिर्भर, विकसित, समर्थ और शक्तिशाली बनाने की दिशा में अपना योगदान कर पाएंगे।