नई दिल्ली। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण के तहत देश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता अभियान को व्यापक स्तर पर आगे बढाया जाएगा और कचरे के निस्तारण के स्वस्थ उपाय किए जाएंगे।
शेखावत के बुधवार को यहां मंत्रालय के एक कार्यक्रम में स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए कहा कि इसके तहत ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता को लेकर वैश्विक स्तर की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और कचरा निपटान का बेहतर प्रबंधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका यह विस्तृत चरण होगा और मंत्रिमंडल से इसको मंजूरी मिल चुकी है।
स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण को सराहते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत देश के हर घर में शौचालय बनाया गया है और दूसरे चरण में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि खुले में शौच की प्रथा कहीं भी बाकी नहीं रहे और कोई व्यक्ति ऐसा नहीं रहे जो शौचालय का इस्तेमाल नहीं करता है।
मंत्रालय में राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले पांच साल के दौरान स्वच्छता के लिए जो अभियान चलाया गया उससे लोगों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है। देश के ग्रामीण इलाकों में यह चरण बहुत सफल रहा और स्वच्छ भारत मिशन एक जन आंदोलन बनकर सामने आया।
दूसरे चरण पर खर्च होंगे 1,40,881 करोड़ रुपए
दूसरे चरण में 2020-21 से 2024-25 तक मिशन मोड में 1,40,881 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ लागू किया जाएगा। यह वित्त पोषण का आदर्श मॉडल होगा। इसमें से 52,497 करोड़ रुपए पेयजल और स्वच्छता विभाग के बजट से आवंटित किए जाएंगे, जबकि शेष राशि 15वें वित्त आयोग, एमजीएनआरईजीएस और राजस्व सृजन मॉडल के तहत विशेष रूप से ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जारी की जा रही निधियों से प्राप्त की जाएगी।
गौरतलब है कि 2014 में एसबीएम-जी के शुभारंभ ग्रामीण क्षेत्रों में 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। 5.9 लाख से अधिक गांवों, 699 जिलों और 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने स्वयं को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है।
ग्रामीणों को रोजगार भी देता रहेगा
खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) प्लस के ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) घटक की निगरानी चार प्रमुख क्षेत्रों (प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जैव-क्षरण योग्य ठोस प्रबंधन प्रबंधन (पशु अपशिष्ट प्रबंधन सहित), ग्रेयवॉटर प्रबंधन और फेकल कीचड़ प्रबंधन) के लिए उत्पादन-परिणाम संकेतकों के आधार पर की जाएगी।
एसबीएम-जी का दूसरा चरण रोजगार उत्पन्न करता रहेगा और घरेलू शौचालयों और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ एसएलडब्ल्यूएम के लिए बुनियादी ढांचे जैसे खाद गड्ढों, सोख गड्ढों, अपशिष्ट स्थिर तालाबों, सामग्री वसूली सुविधाओं आदि के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।
ग्रामीण महिलाओं के स्वाभिमान में सुधार : अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च से पहले केंद्रीय मंत्री ने यूनिसेफ तथा बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) द्वारा ग्रामीण महिलाओं पर एसबीएम (जी) के प्रभाव पर अध्ययन जारी किया। ग्रामीण भारत में महिलाओं की सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का प्रभाव। फरवरी, 2020 में 5 राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 6,993 महिलाओं का सर्वेक्षण किया गया। अध्ययन ने संकेत दिया कि घरेलू शौचालयों की बढ़ती पहुंच से ग्रामीण भारत में महिलाओं के सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान में सुधार हुआ है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
-शौच करने के लिए खुले में न जाने से 93 प्रतिश महिलाएं हमले से सुरक्षित महसूस करती हैं।
-91 प्रतिशत महिलाएं अपने दिन के एक घंटे तक समय बचाती हैं, जो पहले शौच स्थलों पर जाने में लगाती थीं।
-88 प्रतिशत महिलाओं को एक शौचालय का मालिक होने पर गर्व है।