नई दिल्ली/जयपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि देशभर में भूजल संसाधनों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
प्रश्नकाल में देशभर में भूजल संसाधनों के संरक्षण के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जल राज्य का विषय होने के कारण देश में जल संरक्षण और जल संचयन सहित जल प्रबंधन की पहल मुख्यतया राज्यों की जिम्मेदारी है।
राज्य सरकारों के प्रयासों को सहायता देने के लिए भारत सरकार विभिन्न स्कीमों और कार्यक्रमों के माध्यम से जल संसाधनों के सतत विकास व दक्ष प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी तथा वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
उन्होंने बताया कि बहुत से राज्यों ने जल संरक्षण/संचयन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इनमें राजस्थान में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान, महाराष्ट्र में जलयुक्त शिबर, गुजरात में सुजलाम सुफलाम अभियान, तेलंगाना में मिशन ककातिया, आंध्र प्रदेश में नीरू चेट्टू, बिहार में जल जीवन हरियाली, हरियाणा में जल ही जीवन उल्लेखनीय है।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने बताया कि भारत सरकार ने देश के 256 जिलों के जल की कमी वाले ब्लॉकों में भूजल स्थिति सहित जल उपलब्धता में सुधार करने के लिए मिशन मोड दृष्टिकोण के साथ जल शक्ति अभियान नामक समयबद्ध अभियान शुरू किया है।
जल शक्ति मंत्रालय के तकनीकी अधिकारियों के साथ केंद्र सरकार के अधिकारियों के दलों को जल की कमी वाले जिलों का दौरा करने और उपयुक्त कार्यवाही करने तथा जिला स्तर के अधिकारियों के साथ घनिष्ठ सहयोग से कार्य करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया।
जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए पांच लक्षित कार्य जैसे जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन, परंपरागत और अन्य जल निकायों/टैंको का नवीकरण, बोरवेलों का पुनःप्रयोग तथा पुनर्भरण, वाटरशेड विकास और व्यापक पौधारोपण इत्यादि कार्यान्वित किए गए हैं।
वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा क्या दीर्घकालीन उपाय किए जा रहे हैं? प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजल संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए 6000 करोड़ रुपए की केंद्रीय क्षेत्र स्कीम अटल भूजल योजना (अटल जल) अनुमोदित की है। अटल जल सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाट, मप्र, महाराष्ट्र, राजस्थान और उप्र के 78 जल की कमी वाले जिलों में कार्यान्वित किया जा रहा है।