नई दिल्ली/जयपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा में कहा कि राज्य सरकारें जल संरक्षण की जिम्मेदारी निभाएं। राजस्थान ने यह जिम्मेदारी निभाई तो वहां प्रतिवर्ष भूमिगत जलस्तर पांच फीट बढ़ रहा है। इसका श्रेय उन्होंने राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना को दिया।
मंगलवार को राज्यसभा में देश में जल संकट और राष्ट्रीय सिंचाई परियोजनाओं को पूरा होने में हो रहे विलंब को देखते हुए जल को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल करने की मांग की गई। शेखावत ने कांग्रेस के केवीपीएस राव के ध्यानाकर्ष प्रस्ताव पर चली चर्चा का जवाब देते हुए सदस्यों की इस मांग को नामंजूर कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को जल संरक्षण और परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाने को कहा।
दरअसल, राव ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में कहा था कि जल के महत्व को देखते हुए सरकार ने 16 सिंचाई परियोजनाओं को राष्ट्रीय सिंचाई परियोजनाएं घोषित की हैं, लेकिन अंतर राज्जीय मुद्दे विधायी मुद्दे भूमि अधिग्रहण और फंड के कारण ये परियोजनाएं पूरी नहीं हो रही हैं। इसलिए जल को समवर्ती सूची में शामिल किया जाए।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि सरकारिया आयोग और पूंच आयोग ने जल को समवर्ती सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था। संविधान सभा मे इस पर चर्चा हुई थी और बाबा साहेब अंबेडकर भी इसे राज्यों की सूची में शामिल करने के समर्थक थे और इसे समवर्ती सूची में नहीं, बल्कि राज्यों की सूची में शामिल किया गया।
उन्होंने पोलावरम परियोजना में विलंब के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया, क्योंकि गत छह माह से उसने इस परियोजना के संशोधित बजट के कागजात वित्त मंत्रालय को नहीं दिया। पश्चिम बंगाल की सरकार ने तीस्ता बैराज परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण तक नहीं किया। इसलिए केंद्र पर आरोप लगाकर राजनीति न करें। इसके लिए उन्होंने सदस्यों की खिंचाई भी की।
जलशक्ति मंत्री ने राजस्थान को सरदार सरोवर बांध से पानी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद भी किया। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने नर्मदा का पानी राजस्थान को दिया था और आज ढाई लाख हेक्टेयर में इससे सिंचाई होती है।
पश्चिमी राजस्थान में किसान खुदकुशी नहीं
जलशक्ति मंत्री शेखावत ने कहा कि मैं सुदूर पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान से आता हूं, जहां साल में 150 मिलीमीटर बरसात ही होती है। मैं आज भी गर्व के साथ कह सकता हूं कि पश्चिमी राजस्थान में एक भी किसान की खुदकुशी का मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि जरूरत ठीक से जल के प्रबंधन की है। वर्षा से जो जल मिल रहा है, उसके ठीक से संग्रहण की आवश्यकता है।